रायपुर। हिंदू संवत्सर के अनुसार जिस दिन सूर्योदय से लेकर अगले तीन घंटे तक जो तिथि होती है, उसे ही उस दिन की तिथि माना जाता है, भले ही इसके बाद दूसरी तिथि शुरू हो जाए। चूंकि इस बार 17 अक्टूबर को सूर्योदय पर तृतीया तिथि है, जो सुबह 6.48 बजे तक रहेगी। इसके पश्चात चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी। सूर्योदय पर तृतीया तिथि होने के बावजूद इस दिन करवा चौथ मनाना श्रेष्ठ होगा, क्योंकि करवा चौथ की पूजा के लिए चंद्रमा को देखकर पूजा करने की मान्यता है। 17 अक्टूबर की शाम को चंद्र दर्शन के समय चतुर्थी तिथि होने से इसी दिन करवा चौथ मनाया जाएगा। इस बार चंद्र दर्शन के दौरान गजकेसरी योग का संयोग बन रहा है। इस योग में पूजा करने से पति-पत्नी के बीच रिश्ते मजबूत होंगे।

वृद्धि तिथि के रूप में तृतीया तिथि

ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करक चतुर्थी अथवा करवा चौथ मनाया जाता है। इस साल गुरुवार 17 अक्टूबर को तृतीया तिथि वृद्धि तिथि के रूप में सुबह 6.48 बजे तक ही है। इसके पश्चात चतुर्थी होने से इसी दिन करवा चौथ मनाया जाना श्रेष्ठ होगा।

मेष राशि में भद्रा का कोई प्रभाव नहीं

गुरुवार की रात चंद्र उदय का समय रात्रि 8.11 बजे है, चूंकि इस दिन मेष राशि का भद्रा है अतः यह निष्प्रभावी रहेगा, लेकिन सायंकाल 6.48 के बाद पूजन करना उचित होगा। इस दिन विशेष रूप से गणपति, गौरी की पूजा उपरांत विधिवत श्रीगणेश की स्थापना करके शिवजी का पूजन करने से दंपतियों की आयु, आरोग्यम और ऐश्वर्य में वृद्धि होगी।

चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उच्च का

रात्रि में चंद्रोदय के समय चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में पड़कर उच्च का हो रहा है। साथ ही गुरु की सप्तम दृष्टि होने के कारण गजकेसरी योग बन रहा है। इस योग में पूजा करना पति-पत्नी दोनों के लिए अत्यंत शुभ और प्रगतिकारक है।

पूजन का श्रेष्ठ समय

रात्रिचंद्र दर्शन के दौरान रात्रि 8.11 बजे

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