भोपाल।  MP Medical Council मप्र मेडिकल काउंसिल (एमपीएमसी) में डॉक्टरों के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई इसी महीने से शुरू हो जाएगी। डेढ़ साल से सुनवाई बंद होने की वजह से शिकायतों का निपटारा नहीं हो रहा था। ऐसे में शिकायतकर्ता तो परेशान थे पर आरोपित अस्पताल संचालक और डॉक्टर मजे में थे। अब आरोप साबित होने पर इनके खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी।

इसमें पंजीयन निलंबित करने से लेकर खत्म करने तक की कार्रवाई हो सकती है। प्रदेशभर के डॉक्टरों के खिलाफ काउंसिल में 84 शिकायतें लंबित हैं। सुनवाई बंद होने की वजह यह थी कि काउंसिल आयुक्त चिकित्सा शिक्षा के अधीन आने के बाद भी एक्ट में चेयरमैन के तौर पर संचालक स्वास्थ्य सेवाएं दर्ज था। इस साल अगस्त में विधानसभा से मप्र मेडिकल काउंसिल एक्ट में संशोधन हो गया। अधिसूचना भी जारी हो गई। अब लंबित शिकायतों पर सुनवाई शुरू होगी।

काउंसिल में निजी और सरकारी अस्पताल संचालक या अधीक्षक और डॉक्टरों के खिलाफ पिछले साल जून से सुनवाई रुकी हुई है। दरअसल, मप्र मेडिकल काउंसिल पहले स्वास्थ्य विभाग के अधीन थी। 2016 में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन आ गई। इस बदलाव के बाद काउंसिल के एक्ट में धारा 4 व धारा 29 में काउंसिल के सक्षम अधिकारी के तौर पर संचालक स्वास्थ्य की जगह आयुक्त उच्च शिक्षा किया जाना था।

धारा 4 में उसी समय बदलाव हो गया था, पर गलती से धारा 29 में बदलाव नहीं हो पाया। काउंसिल को इस गलती का अहसास तब हुआ, जब काउंसिल ने तीन डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की तो डॉक्टर हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में धारा 29 में बदलाव नहीं होने का हवाला देकर सुनवाई पर रोक लगा दी थी।

भोपाल की 15 शिकायतें लंबित

लंबित शिकायतों में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर की सबसे ज्यादा है। पुराने भोपाल में एक डॉक्टर ने एक महिला के पेट में कपड़ा छोड़ दिया था। यह शिकायत भी काउंसिल में हुई है। भोपाल की 15 शिकायतें लंबित हैं। प्रदेशभर की लंबित 84 शिकायतों को सुनवाई पूरी करने में सालभर से भी ज्यादा समय लगेगा।

इसकी वजह यह है कि एक बार में एथिकल कमेटी में अधिक से अधिक 8 से 10 प्रकरण रखे जा सकते हैं। एक प्रकरण का निराकरण कम से कम तीन से चार सुनवाई में सभी पक्षों के बयान लेने के बाद हो पाता है।

हर महीने करेंगे सुनवाई

लंबित शिकायतों पर सुनवाई जल्द ही शुरू होगी। ज्यादा शिकायतों को देखते हुए हर महीने एथिकल कमेटी की बैठक करेंगे। एक बार में ज्यादा से ज्यादा प्रकरण रखे जाएंंगे। जरूरत पड़ी तो महीने में दो बार बैठक की जाएगी।

-डॉ. सुबोध मिश्रा, रजिस्ट्रार, मप्र फार्मेसी काउंसिल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *