शहर के समीप क्षेत्र की जीवनदायनी मां नर्मदा किनारे कभी सत्य, अंहिसा के पुजारी और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का विश्व विख्यात रहा गांधी स्मारक अपनी पहचान लिए था। बीते दो वर्ष पूर्व सरदार सरोवर बांध के चलते बापू स्मारक का अब पता बदल चुका है। बांध के बेक वाटर की डूब में आने से प्रशासन द्वारा स्मारक को वर्ष 2017 में राजघाट से शहर के समीप कुकरा बसाहट में स्थानांतरित किया है।


हालांकि स्मारक को स्थानांतरण के बाद कोई भव्यता नहीं मिल सकी। जिससे नर्मदा तट छूटने से बसाहट में स्मारक पर अब केवल गांधी जयंति व पुण्यतिथि पर ही रौनक नजर आती हैं, बाकी समय यहां देखरेख का अभाव नजर आता है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपिता की शहादत के बाद उनकी अस्थियां देशभर की पवित्र नदियों में प्रवाहित की गई थी। तब बड़वानी के समीप राजघाट (कुकरा) स्थित नर्मदा नदी में भी बापू की अस्थियां विसर्जित की गई थी। जानकारी के अनुसार 1965 में राजघाट में महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और महादेवभाई देसाई की अस्थियों और पवित्र भस्म के अंश वाले कलश स्थापित कर स्मारक बनाया गया था।


जेसीबी के पंजे से खोदी थी अस्थियां गांधी स्मारक की स्थापना के करीब 52 वर्ष बाद 27 जुलाई 2017 को राजघाट स्थित गांधी स्मारक को सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने से कुकरा बसाहट में विस्थापित किया गया। इस दौरान प्रशासन द्वारा तड़के अंधेरे में जेसीबी से खुदाई काम शुरु किया था। इस दौरान नबआं व ग्रामीणों के खासे हंगामे का भी सामना करना पड़ा था। हालांकि खाकी के साए में प्रशासन ने बापू की अस्थियां जेसीबी के पंजे से खोद बसाहट में विस्थापित कर दी थी। उस समय अधिकारियों द्वारा स्मारक को भव्य बनाने की बात कही थी, लेकिन वर्तमान में मूलभूत सुविधाहीन बसाहटों की भांति बापू स्मारक भी भव्यहीन ही है।


अभी जलमग्न हैं राजघाट ज्ञात हो कि वर्ष 2017 में सरदार सरोवर बांध का लोकार्पण हुआ था। वहीं इस वर्ष उक्त बांध को निर्धारित पूर्ण क्षमता 138.650 मीटर तक भरा जा चुका है। बरहाल बुधवार को गांधी जयंति पर गांधीवादियों सहित राजनीतिक व सामाजिक संस्थाएं बापू के गुणगान करेंगी। वहीं अब देखना होगा कि शासन-प्रशासन के माध्यम से बापू के स्मारक को भव्य रूप मिल पाता है या नहीं?


स्मारक की तिथियां
स्मारक का संकल्प 12 फरवरी 1964
निर्माण कार्य का श्रीगणेश 14 जनवरी 1965
भस्म कलश की स्थापना 30 जनवरी 1965
स्मारक का लोकार्पण 12 फरवरी 1965
राजघाट से स्मारक का विस्थापन 27 जुलाई 2017

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