बड़वानी / कहते हैं, आवश्यकता और इच्छाशक्ति जब एक हो और उसे शासकीय योजनाओ की जानकारी हो जाए, तो वांछित परिणाम को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता।    

          ऐसे ही एक रोजगार की आवश्यकता वाले दिव्यांग सुखदेव दशाने को जब हेवी वाहन जेसीबी चलाते आशा ग्राम में देखा, तो सहज ही उससे मिलने व बात करने की इच्छा हुई। तभी पता चला कि वह धरमपुरी तहसील के ग्राम रसलपुर बंदाव का रहने वाला है तथा कक्षा दसवीं तक पढ़ा है, लेकिन किसी कारणवश उसने पढ़ाई छोड़ दी। दाहिना पैर बचपन से पोलियो ग्रस्त होने के कारण पूरी तरह जमीन पर नहीं टिक पाता है। ऐसे में सुखदेव के लिए सही रोजगार ढूंढना थोड़ा मुश्किल सा हो गया था। किंतु वह सदैव प्रयत्नशील बना रहा। एक दिन उसकी मुलाकात ऐसे रिश्तेदार से हुई जो जेसीबी चलाने का काम कर रहा था। इस पर सुखदेव ने उससे निवेदन कर जेसीबी पर हेल्पर का कार्य करने लगा। डेढ़ साल की अथक मेहनत के बाद वह कुशल जेसीबी ड्राइवर बन गया। अब वह खुशी से बताता है कि नकारात्मक सोच ही जीवन की एकमात्र विकलांगता है। प्रयत्न कर हम स्वावलंबन का जीवन जी सकते हैं।

         युवा सुखदेव की इस जोश भरी दास्तान को जानकर, आशा ग्राम में संचालित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र की प्रशासकीय अधिकारी श्रीमती नीता दुबे ने जब उसे बताया कि वह मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत सेवा क्षेत्र में संचालित होने वाले सवारी वाहन हेतु 10 लाख रुपए तक का ऋण लेकर स्वयं के वाहन का मालिक भी बन सकता है। तब से सुखदेव का बरसो पुराना सपना, परवान चढ़ने को मचलने लगा है। और वह शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए अगले मंगलवार को बैठने वाले जिला मेडिकल बोर्ड के माध्यम से अपना दिव्यांगता  प्रमाण पत्र बनवाने की तरफ कदम बढ़ा चुका है। उसे अब पूर्ण विश्वास हो चला है  कि वह शासकीय योजनाओं  से लाभ उठाकर जहां आत्मनिर्भर बन जाएगा वही अपने परिवार का गुजर-बसर करने में भी पूरी तरह सक्षम हो जाएगा।

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