नई दिल्ली। इन दिनों देश के अधिकतर राज्यों में शीतलहर की वजह से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। दिल्ली में पारा जहां 2 डिग्री तक जा चुका है वहीं राजस्थान में तो माइनस 4 डिग्री पहुंच चुका है। जहां एक तरफ शीतलहर हाड़ कंपा रही है वहीं दूसरी तरफ खबर है कि नए साल के जश्न में मौसम का खलल पड़ सकता है। अगर आप भी 31 दिसंबर को इतनी सर्दी में भी यह सोचकर जश्न मनाने जा रहे हैं कि जोश के साथ गर्मी आ जाएगी तो शायद ऐसा ना हो। मौसम विभाग का कहना है कि 31 दिसंबर से लेकर 3 जनवरी के बीच बारिश के आसार हैं।

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में 31 दिसंबर से लेकर 3 जनवरी तक बारिश के आसार हैं। वहीं पूर्व और उत्तर पूर्वी भारत में 1 जनवरी से 3 जनवरी के बीच बारिश हो सकती है। ताजा पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब, हरयाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और उत्तरी राजस्थान में 31 दिसंबर से बारिश की संभावना है। वहीं उत्तर प्रदेश में 1 और 2 जनवरी को बारिश हो सकती है।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ और मराठवाड़ा में 31 दिसंबर से 2 जनवरी बीच बारिश हो सकती है। वहीं बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में 1 जनवरी से मौसम करवट बदलेगा।

हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्यप्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ में गरज चमक के साथ ओले गिरने और बारिश की संभावना जताई गई है। पिछले 3-4 दिनों में उत्तरी और मध्य भारत में तापमान में शीतलहर की वजह से बड़ी गिरावट आई है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली में यह हालात अगले 4-5 दिन तक बने रह सकते हैं। वहीं झारखंड, बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और विदर्भ में आज से लेकर आगले कुछ दिनों शीतलहर का प्रकोप रहेगा।

इसलिए पड़ रही है इतनी कड़ाके की सर्दी

पूरे देश में अचानक बढ़ी शीतलहर की वजह से ठंड में तेजी आई है वहीं पारा कमजोर हुआ है। पहाड़ों में बर्फबारी कई दिनों से हो रही है लेकिन पिछले दिनों तेजी से गिरे पारे के पीछे क्या कारण है। प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र दिल्ली के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि ठंड कम या अधिक रहने के पीछे पश्चिमी विक्षोभों की सक्रियता बड़ी वजह है। इस बार हिमालय क्षेत्र में जो भी पश्चिमी विक्षोभ बन रहे हैं, सभी मजबूत रहे हैं।

जनवरी माह में भी इस बार अच्छी खासी ठंड पड़ने की संभावना दिखाई दे रही है। हालांकि कुछ लोग इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ रहे हैं। उनका तर्क है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण बादलों की वजह से सूर्य की किरणें धरती तक ठीक से पहुंच नहीं पा रही हैं, जिससे ठंडक कम हो।

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