भोपाल। दो दिन बाद (देवउठनी ग्यारस से) शुरू होने वाले विवाह मुहूर्तों में सरकारी शादियों (मुख्यमंत्री कन्यादान एवं निकाह योजना) पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सामाजिक न्याय विभाग ने पुरानी देनदारी चुकाने के लिए शासन से राशि की मांग की तो वित्त विभाग ने साफ इनकार कर दिया।

अब पुराने पैसों के साथ नई शादियों की तैयारियों को लेकर भी दिक्कत खड़ी हो गई है, क्योंकि जोड़ों को दिए जाने वाले 51 हजार रुपए में से तीन हजार रुपए कार्यक्रम पर खर्च किए जाना हैं। जब राशि ही नहीं मिलेगी तो कार्यक्रम कैसे करवाए जाएंगे। हालांकि विभाग ने मुहूर्त के हिसाब से वैवाहिक कैलेंडर तैयार कर लिया है, जो अनुमोदन के लिए प्रमुख सचिव को भेजा गया है।

आठ नवंबर को देवउठनी ग्यारस है। इसके साथ ही हिंदू समाज में शादियां शुरू हो जाएंगी। विभाग सामूहिक विवाह कार्यक्रमों की तैयारियों में तो जुट गया है, लेकिन कार्यक्रम की तैयारियों और फिर वैवाहिक बंधन में बंधने वाले जोड़ों को देने के लिए राशि का इंतजाम नहीं हो पा रहा है।

अगले साल अक्षय तृतीया पर बड़े स्तर पर विवाह कार्यक्रम करवाने की संभावना के चलते विभाग के अफसरों का अनुमान है कि इस बार 55 से 60 हजार जोड़ों के विवाह करवाने होंगे। इतने जोड़ों के लिए राशि का इंतजाम करना सरकार के लिए भी चुनौती होगी। हालांकि सामाजिक न्याय संचालनालय के कैलेंडर के मुताबिक नौ सामूहिक विवाह व नौ निकाह कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

102 करोड़ नहीं दे पा रही सरकार

सरकार करीब 20 हजार जोड़ों को देने के लिए 102 करोड़ रुपए विभाग को नहीं दे पा रही है। विभाग ने हाल ही में सरकार से राशि की मांग की थी, तो वित्त विभाग ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए राशि देने से इनकार कर दिया। यह जोड़े सात माह से राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

यह शादियां एवं निकाह दिसंबर 2018 से जुलाई 2019 के बीच करवाए गए हैं। सरकार को प्रत्येक जोड़े को 48 हजार रुपए नकद देना है। ज्ञात हो कि नवंबर 2018 से सितंबर 2019 तक सरकार ने 42 हजार शादियां करवाई हैं। इनमें से 28 हजार 900 शादियां अप्रैल 2019 के बाद हुई हैं। राशि अटकने से हंगामा होने पर अगस्त में सरकार ने विभाग को 50 करोड़ रुपए दिए थे, जो सिर्फ 980 जोड़ों को बांटे जा सके।

280 करोड़ रुपए का खर्च

दो दिन बाद शुरू हो रहे विवाह मुहूर्तों में यदि प्रदेश में 55 हजार शादियां सरकारी सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में होती हैं, तो सरकार को 280 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि खर्च करना पड़ेगी। 102 करोड़ रुपए पुराने भी चुकाना है। इस हिसाब से यह राशि 382 करोड़ रुपए से भी ज्यादा होती है।

पिछले साल अक्षय तृतीया पर नहीं हुए विवाह

योजना के तहत शादियों की संख्या नवंबर 2018 से बढ़ गई। दरअसल, कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में वादा किया था कि मुख्यमंत्री विवाह एवं निकाह योजना के तहत शादियां कराने वाले जोड़ों को 28 हजार की बजाय 51 हजार रुपए दिए जाएंगे। कांग्रेस की सरकार आते ही सरकारी कार्यक्रमों में शादियां करवाने वालों की संख्या भी बढ़ गई। वह भी तब जब अक्षय तृतीया पर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी होने के कारण सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए।

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