धार। देश, मध्य प्रदेश जहां तकनीक के साथ तरक्की की इबारत लिख रहा है, वहीं धार जिले (Dhar District) में एक बस्ती इस विकसित दुनिया से ही कट चुकी है। बात कर रहे हैं कुक्षी विकासखंड के गांव कवडियाखेड़ी की मानकर बस्ती की। यहां के 35 से अधिक बच्चों को पढ़ने के लिए करीब दो किलोमीटर दूर खानपुरा के स्कूल में पैदल जाना पड़ रहा है, क्योंकि बस्ती के आसपास स्कूल ही नहीं हैं और ना ही बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं हैं। मानकर बस्ती की जनसंख्या 300 लोगों की। ऊबड़-खाबड़ स्कूल के रास्ते में नाला भी पड़ता है। बारिश में नाले में पूर आने पर स्कूल की छुट्टी रहती है। बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत जरूरतें तक यहां के बाशिंदों को मुहैया नहीं हो सकी हैं। शिक्षा के अधिकार नियम के तहत प्रति किमी प्राथमिक स्कूल होना चाहिए, पर ऐसा नहीं है।
यह भी एक वजह : एक दशक पहले मानकर समाज से अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का लाभ वापस ले लिया गया। वे अब ओबीसी में आ गए हैं। समाज के पांचा और खोनू मानकर कहते हैं कि बच्चों का स्कूल बहुत दूर है। आने-जाने में उन्हें दिक्कत होती है। हमारी बस्ती तो मुख्यधारा से कटी हुई है।
दिक्कत सिर्फ बारिश में : मानकर बस्ती के आसपास स्कूल नहीं है। वहां के बच्चों को रास्ते संबंधी समस्या केवल बारिश में ही होती है। मिडिल स्कूल के बच्चों को साइकिल इसलिए नहीं मिल पा रही, क्योंकि पोर्टल पर लोकेशन की जानकारी नहीं बताई जा रही है। – भूषण देशपांडे, सहायक परियोजना समन्वयक, धार जिला शिक्षा केंद्र

