NDIczJtle> brn˜t fUtu yôv;t˜e mu Stu˜e bü zt˜fUh Dh ˜u st;u ôJsl> VUtuxtu & mtCth, ôJsl ---------------- mkckr"; Fch & Stu˜e bü Œmq;t, bhes mu ßgt=t IÔgJô:tO ˜tath

बड़वानी ‘जहां तय था चरागा हर घर के लिए, एक चिराग भी मयस्सर नहीं पूरे शहर के लिए” कुछ ऐसा ही नजारा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर नजर आ रहा है। गत सप्ताह जिले के पानसेमल विकासखंड के खामघाट की ग्रामीणों की बेबसी के दो मामले सामने आए और अब पाटी विकासखंड के जिला मुख्यालय से सटे नागराघाट के ग्रामीणों की मजबूरी सामने आई है। यहां भी मरीजों, प्रसूताओं को झोली में डालकर पांच किमी का पैदल सफर कर एंबुलेंस तक ले जाया गया। इन घटनाक्रमों में राजनीतिक रूप से पड़ोसी जिलों से अपेक्षाकृत मजबूत बड़वानी जिले में मरीजों से ज्यादा ‘व्यवस्था” लाचार नजर आ रही है।

उल्लेखनीय है कि गत तीन साल से बड़वानी प्रधानमंत्री के आकांक्षी जिलों में शामिल है। इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता में रखा गया है। इसके बावजूद जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है।

दुविधाओं से भरा पांच किमी का दुर्गम रास्ता

पाटी क्षेत्र की ग्राम पंचायत अजराड़ा का नागराघाट बड़वानी जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर है। जहां आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां आज भी मरीजों व प्रसूताओं को कपड़े की झोली में डाल कर अस्पताल ले जाने की तस्वीरें देखी जा सकती हैं। गांव वाले कहते हैं कि उनके गांव जाने के लिए सड़क मार्ग नहीं है, इसके कारण उन्हें करीब पांच किमी पैदल ही सफर करना पड़ता है। फसल बेचने जाना हो या शहर से खाद लेकर गांव जाना हो, दुर्गम रास्ते से पैदल गुजरने की विवशता बनी रहती है। वन क्षेत्र होने से जंगली जानवरों का भय भी रहता है। वहीं विपरीत मौसम व रात के समय दुविधा दोगुनी हो जाती है।

मोबाइल नेटवर्क भी नहीं

नागराघाट में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता है। इसके कारण आपातकालीन सूचना के लिए या एंबुलेंस आदि से संपर्क करने के लिए करीब चार किमी पैदल आकर काल करना पड़ता है। ग्रामीण शिवराम नरगावे, शालू और शिवला ने बताया कि जनप्रतिनिधियों व प्रशासन को पूर्व में समस्या से अवगत कराया है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। ग्राम की ग्यारसीबाई को गत सप्ताह प्रसूति हुई थी।

गांव वापस जाने के बाद गुरुवार को कुछ समस्या होने पर जिला अस्पताल लाए थे। शाम को वापस गांव जाने के दौरान गिरते पानी में महिला को झोली में डालकर गांव तक ले जाना पड़ा। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में ना तो आंगनबाड़ी है और ना ही स्कूल। जबकि गांव में करीब 30-35 घरों में कुल करीब 200 लोग निवास करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *