भोपाल नियमितीकरण और वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर भोपाल आई प्रदेशभर की आशा, उषा कार्यकर्ताओं और सहयोगिनी को पुलिस ने गुरुवार देर शाम गिरफ्तार कर लिया। यह दीपक जलाकर मुख्यमंत्री निवास के सामने प्रदर्शन करना चाहती थी। इसकी भनक पुलिस को लगी, तो पुलिस ने भोपाल में आने के पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान कुछ आशा, उषा कार्यकर्ताओं ने पॉलिटेक्‍निक चौराहे पर पहुंचकर दीप प्रज्‍ज्‍वलित किए। आंदोलनकारियों के समर्थन में शामिल सीटू के प्रदेश अध्यक्ष ईटी पद्मनाभन को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। बैरागढ़ के रायल पैलेस में अस्थायी जेल बनाकर उन्हें रखा गया है। रात 11:00 बजे तक गिरफ्तारी जारी रही। मध्य प्रदेश आशा, उषा कार्यकर्ता/सहयोगिनी श्रमिक संघ की अध्यक्ष लक्ष्मी कौरव ने कहा की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आपको मध्य प्रदेश की समस्त महिलाओं का भाई कहते हैं, उन्हें बहनों के दीपक लगाने से भी ऐतराज रहा और आशा कार्यकर्ताओं को भोपाल की धरती पर पैर रखते ही गिरफ्तार करवा लिया गया। इस जमाने में भी कंस जैसे भाई होते हैं, यह नहीं मालूम था। हमारे साथ छोटे-छोटे बच्चे हैं। इनसे भी इस मामा की क्या दुश्मनी है कि उनको पानी तक नसीब नहीं होने दे रहे हैं। इससे क्या हम लोगों के हौसले पस्त हो जाएंगे क्या हमारा आंदोलन इस तरह से खत्म हो जाएगा यह भूल है शिवराज सरकार की।

लक्ष्मी कौरव ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी मांग नियमितीकरण को लेकर है। उनका काम अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह ही है तो फिर उन्हें नियमित क्यों नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि काम को देखते हुए सहयोगिनी के लिए 24 हजार रुपये महीने और आशा उषा कार्यकर्ताओं के लिए 18 हजार रुपये महीने वेतन देने की मांग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से की थी। इसके लिए 24 जून को भोपाल में बड़ा आंदोलन भी किया गया था। इस दौरान संगठन के पदाधिकारियों की राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक छवि भारद्वाज से मुलाकात हुई थी। उन्होंने आशा एवं उषा कार्यकर्ताओं को हर महीने 10 हजार रुपए और सहयोगिनी को 15 हजार रुपए मासिक वेतन देने के संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजने की बात कही थी, लेकिन अभी तक इस पर भी अमल नहीं हुआ है। आशा कार्यकर्ताओं को उनके विभिन्न कार्यों के लिए अभी हर महीने सिर्फ प्रोत्साहन राशि मिलती है। यह राशि करीब 2 हजार रुपए ही होती है।

प्रभावित होगा कामकाज

दीपावली से आंदोलन शुरू होने के साथ ही आशा, उषा और सहयोगिनी काम बंद कर देंगी। इस कारण सेवाएं प्रभावित होंगी। इस समय उनके ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी कोरोना का टीका नहीं लगवाने वाले लोगों का सर्वे, टीका नहीं लगवाने वाले लोगों को प्रेरित करने की है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच के लिए अस्पताल लाना, परिवार नियोजन आदि भी उनकी जिम्मेदारी होती है।

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