बड़वानी / उल्लेखनीय है कि उक्त रेलवे लाईन के सम्बन्ध में राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने पत्राचार के माध्यम से मांग की थी कि खंडवा से धार खरगोन-बड़वानी रेल लाईन को वर्ष 2008-2009 के रेल बजट में नई रेल लाइन के सर्वेक्षण के लिए स्वीकृत किया गया था इसकी सर्वे रिपोर्ट वर्ष 2010 में रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत की गई थी। परंतु आज दिनाँक तक कोई कार्यवाही नही हुई थी जिससे क्षेत्र के 40 लाख आदिवासी समुदाय के लोग रेल सुविधा से वंचित है तथा क्षेत्र का विकास बाधित हो रहा है।

प्रस्तावित नवीन रेल लाइन खंडवा से धार व्हाया खरगोन-बड़वानी जिन चार जिलों से होकर गुजरती है,ये सभी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा घोषित आदिवासी जिले है, तथा बड़वानी व खंडवा आकांक्षी जिले है। साथ ही इन जिलों को भारत शासन ने 5 वीं अनुसूची में शामिल किया हुआ है।

इस क्षेत्र में नर्मदा सागर ओंकारेश्वर, महेश्वर, अपरवेदा, खारक, लोवर गोई, आदि बांधो से नहरों का जाल बिछ जाने से कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि को देश के अन्य भागों में भेजना आसान हो सकेगा रेल लाइन आ जाने से कृषि आधारित उद्योगों का विकास होगा। गुजरात के सरदार सरोवर सहित मध्यप्रदेश के विभिन्न बांधो के बैक वाटर क्षेत्र में मत्स्यपालन की अपार सम्भावना है, जिससे मत्स्य उधोग को बढ़ावा मिलेगा व क्षेत्र का बहुमुखी विकास होगा।

नवीन रेल लाईन से खंडवा जिले के ओंकारेश्वर, खरगोन जिले के महेश्वर, नवग्रह मंदिर, उन के प्राचीन जैन मंदिर, बड़वानी जिले के नागलवाड़ी, तथा विश्व प्रसिद्ध बावनगजा तीर्थ, धार जिले की बाग गुफाएं, प्रसिद्ध मांडू तथा गुजरात के स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के जुड़ने से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा देश-विदेशों से आने वाले पर्यटको से रेलवे राजस्व में भारी वृद्धि होगी साथ ही इन क्षेत्रों का आर्थिक विकास होगा। इसके साथ ही सड़क परिवहन पर भार कम होने से बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओ में कमी आएगी।

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