बड़वानी / राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने मंगलवार संसद के शीत कालीन सत्र में शून्य काल के दौरान पश्चिमी मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र के प्रमुख आदिवासी जिलों बड़वानी, खरगोन, धार, अलीराजपुर एवं झाबुआ में नवीन मेडिकल कॉलेज की स्थापना के सम्बंध में किया सवाल।
सांसद डॉ. सोलंकी ने अपने सवाल के माध्यम से सदन एवं सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश के इन जिलों में वर्तमान समय की भौगोलिक स्थिति एवं जनसंख्या अनुपात को देखते हुए एक भी शासकीय मेडिकल कॉलेज नही है जिससे क्षेत्र के आदिवासी गरीब भाइयों और बहनों को आधुनिक चिकित्सा का लाभ नही मिल पा रहा है।
राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि वे निमाड़ क्षेत्र के आदिवासी जिले से आते हैं । यहाँ के आदिवासी बंधु पहाड़ी इलाको में निवास करते है जिनका जीवन पूर्णतः कृषि और कृषि मजदूरी पर निर्भर करता है। वर्तमान समय मे इस क्षेत्र के लोग गम्भीर अनुवांशिक बीमारियों जैसे सिकल सेल से प्रभावित है।
आजादी के अमृत काल के 75 वर्ष हो गए है इन आदिवासी बाहुल्य जिलों में एक भी शासकीय मेडिकल कॉलेज नही है , जिससे यहाँ उतपन्न होने वाली गम्भीर बीमारियों की रोकथाम के लिए शोध कार्य नही हो पा रहे हैं । साथ ही गम्भीर बीमारियों के उपचार के लिए अन्य महानगरों की और जाना पड़ता है जिससे गरीब आदिवासी लोगो के लिए कष्टदायी होता है । कई बार पैसों की कमी एवं समय पर उपचार न मिलने के कारण जान से हाथ धोना पड़ता है।
सांसद डॉ. सोलंकी ने बताया कि क्षेत्रीय जनता द्वारा लंबे अरसे से उक्त शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय की मांग निरंतर की जा रही है जो कि अभी तक लंबित है । उन्होंने विश्वास जताया कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आदिवासी भाइयों और बहनों का विकास हो रहा है तथा आदिवासी जिलों को शीघ्र मेडिकल कॉलेज की सौगात मिलेगी।
यदि इन आदिवासी जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना होती है तो आम जनता के लिए इसके परिणाम लाभकारी होंगे जैसे:-
★इस क्षेत्र के लोगो को बीमारियों के उपचार के लिए महानगरों की और नही जाना पड़ेगा।
★मेडिकल कॉलेज पास होने से समय पर उचित उपचार मिलने के साथ ही अनावश्यक खर्च नही होगा।
★आदिवासी जिलों के प्रतिभावान छात्रों को चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा।
★मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर उतपन्न होने वाली गम्भीर बीमारियों की पहचान के साथ शोध कर उनका समय पर इलाज किया जा सकेगा।जिसका लाभ सीधे तौर पर क्षेत्रीय जनता के साथ-साथ अन्य भारतीयों को भी मिलेगा।
