बड़वानी। एकल नाट्य एक बहुत ही समर्थ विधा है। इसमें मंच पर एक ही कलाकार होता है, वह अपने संवादों, हावभाव, संगीत और प्रकाश के माध्यम से ऐसा भव्य दृश्य बना सकता है कि दर्शकों को ऐसा प्रतीत होने लगता है कि वह अनेक पात्रों को देख रहा है या अनुभव कर रहा है। सीमित साधनों और समय में प्रस्तुति तैयार की जा सकती है, लेकिन कलाकार में निपुणता होना आवश्यक है। ये बातें एसबीएन पीजी कॉलेज के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा संचालित की जा रही अल्पावधि रोजगारोन्मुखी रंगकर्म प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रशिक्षुओं को एकल नाट्य विधा के बारे में जानकारी देते हुए कॅरियर काउंसलर और रंगकर्मी डॉ. मधुसूदन चैबे ने कहीं।
