आप ने नशे में धुत व्यक्ति को अक्सर गली मोहल्लों में लड़खड़ाते देखा होगा ऐसा ही एक मंजर राजपुर एवं ठीकरी ब्लाॅक की आशा प्रशिक्षणार्थियों के आशाग्राम में प्रशिक्षण के दौरान देखने को मिला जब कार्यकर्ताओं ने आंखों पर पट्टी बांधकर खेल के माध्यम से बच्चों की गृह आधारित देखभाल में पिता की भूमिका के विषय में प्रस्तुति दी।
आशा कार्यकर्ताओं ने बताया कि जन्म से लगाकर 15 माह तक बच्चे के आरंभिक बाल विकास में माँ ही ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाती है, कहीं-कहीं पिता की भूमिका भी सराहनीय होती है। ऐसे में यदि पति नशे का आदि है तो पूरा परिदृश्य ही बदल जाता है।
इसी दृश्य को खेल के माध्यम से प्रस्तुति देकर नशे से भटके हुए व्यक्ति की स्थिति का मंचन किया है। इस दौरान यूनिसेफ ममता के जिला समन्वयक श्री शिवप्रतापसिंह ने नशे के आदी व्यक्ति का स्वविवेक निष्क्रिय होने की बात कही, जिससे कि वह बच्चे के लालन-पालन सहित सही पोषण पर ध्यान नहीं दे पाता है तथा कभी-कभी बाल विवाह के लिए भी वह ही जिम्मेदार होता है।
मद्य निषेध सप्ताह के तहत आशाग्राम ट्रस्ट द्वारा विभिन्न माध्यमों से नशे के दुष्परिणामों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए गतिविधियां आयोजित की जा रही है। इस दौरान आशाग्राम ट्रस्ट के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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