नई दिल्ली। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 17 तारीख तक बड़ा फैसला आ सकता है। कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव ठहराते हुए रद्द कर दिया था। कोर्ट का यह फैसला महिलाओं पर यह मासिक धर्म की वजह से मंदिर में प्रवेश पर लगी पाबंदी के खिलाफ था। कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 4-1 से यह फैसला महिलाओं के पक्ष में सुनाया था वहीं इस बेंच की सदस्य जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने बहुमत से असहमति जताई थी। इस फैसले का अयप्पा अनुयायी भारी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मंदिर के भगवान अयप्पा ब्रम्हचारी हैं और इस आयु की महिलाओं के प्रवेश से मंदिर की प्रकृति बदल जाएगी। फैसले के खिलाफ 55 पुनर्विचार याचिकाओं सहित कुल 65 याचिकाएं कोर्ट में हैं।

यह है पूरा मामला

जिस सबरीमाला मामले को लेकर फैसला आने वाला है उसकी शुरुआत 2006 से हुई है। इस साल मंदिर के मुख्य ज्योतिषि परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने कहा ता कि मंदिर में विराजित भगवान अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं और वो इस बात से नाराज हैं कि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश कर लिया। इसके बाद कन्नड़ एक्टर प्रभाकर की पत्नी ने दावा किया था कि सन 1987 में एक बार पति के साथ मंदिर में दर्शन करने गई थी और भीड़ का धक्का लगने की वजह से वह गर्भगृह में पहुंच गई जहां वो भगवान अयप्पा के चरणों में जा गिरी। उनके इस दावे के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया और इस पूरे घटनाक्रम के कारण यह बात सामने आ गई कि मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।

इसके बाद 2006 में ही यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने इसके खिलाफ याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की थी। 10 साल तक यह मामला लटका रहा और 2018 में कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश से प्रतिबंध हटाते हुए उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी। हालांकि, इसके बाद जमकर हंगामा हुआ और भगवान अयप्पा के भक्तों ने मंदिर जाने की कोशिश करने वाली महिलाओं का विरोध भी किया। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आने वाला है।

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