इंदौर। केंद्र सरकार की योजना आइपीडीएस के घोटाले में कंठ तक डूबी पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अब कैसे भी मामले पर लीपापोती करने में जुट गई है। पहले अधिकारी की आडियो रिकार्डिंग, फिर उखाड़े जा रहे खंबों के वीडियो और फिर इंजीनियरों के मैसेज सार्वजनिक हुए। इसके बाद भी बिजली कंपनी के मुख्यालय में बैठे अधिकारियों ने जांच नहीं शुरू की तो उन पर भ्रष्टाचार का साथ देने के आरोप लगने लगे। आरोपों से मुक्ति पाने के लिए अब बिजली कंपनी के मुख्यालय से घोटाले में जांच का एक आदेश जारी हुआ है। बिजली कंपनी की नेकनियत का पता इसी से चल रहा है कि करोड़ों के घोटालों में बिजली कंपनी ने कुल मिलाकर तीन बिलों की जांच करने का आदेश जारी किया है।

पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्पोरेट कार्यालय ने आठ जुलाई की तारीख में जांच का आदेश जारी किया है। आदेश में लिखा गया है कि आइपीडीएस योजना के अंतर्गत ट्रांसफार्मर, खंबे, तार एवं केबल बिलिंग व वास्तविक इरेक्शन की मात्रा में अंतर होने के साथ ही गंभीर अनियमितता की शिकायत मिली है। शिकायत के आधार पर अधिकारियों का एक जांच दल गठित किया जाता है। आदेश में जांल दल के तीन अधिकारियों के रूप में सहायक यंत्री गौरव पांडे, कनिष्ठ यंत्री धीरज सोनी और अधीक्षण यंत्री अचल जैन शामिल है। आदेश में यह भी लिख दिया गया है कि तीनों अधिकारियों का जांच दल सिर्फ तीन बिलों की जांच करेगा। ये तीनों बिल तीन फीडरों व एक कंपनी से जुड़े हुए हैं।

इसलिए सवाल

आइपीडीएस योजना के तहत इंदौर के पांच डिवीजनों में ही कागजों पर 100 करोड़ का काम कर भुगतान किया गया। इसके साथ इंदौर और उज्जैन संभाग में भी इस योजना में करोड़ों के काम हुए। इंदौर में पांच डिवीजनों में तीन निजी कंपनियों क्षेमा पावर, विक्रांत पावर और प्राइमस को ठेका दिया गया था। इनमें से सिर्फ एक कंपनी क्षेमा के तीन बिलों की ही जांच का आदेश जारी किया गया है। बाकी कंपनियों के साथ सैकड़ों बिलों के साथ ही अन्य शहरों में हुए कामों की जांच से भी कंपनी ने किनारा कर लिया। हैरानी की बात है कि इसी क्षेमा पावर कंपनी ने देवास क्षेत्र में भी योजना का काम किया। कंपनी वहां की भी जांच नहीं करवा रही। माना जा रहा है कि विस्तार से जांच का आदेश अधिकारियों के गले की हड्डी बन सकता है क्योंकि मामले में जारी हुई एक रिकार्डिंग के पीछे ठेका कंपनी का नाम सामने आ रहा है। अब बिजली अधिकारी डर रहे हैं कि वे अगर पूरी जांच करवाते हैं तो ठेका कंपनियों के साथ उनकी पोल भी खुल जाएगा।

साहब बाहर

बिजली कंपनी के अधिकारियों ने जांच के आदेश और तीन बिलों की जांच के मामले पर बोलने से किनारा कर लिया। बिजली कंपनी के मुख्यालय से कहा गया कि एमडी अमित तोमर इंदौर से बाहर है। कंपनी के सीजीएम संतोष टैगोर ने भी सिर्फ तीन बिलों की जांच के प्रश्न पर चर्चा नहीं की।

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