बड़वानी /जिला चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं के सीजर आपरेशन हेतु गैंग बनाकर अनाधिकृत रूप से राशि वसूलने की शिकायत पर कलेक्टर ने एसडीएम से करवाई गई जांच उपरांत जहां दोषी डाक्टर के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। वही दोषी स्टाफ नर्स को निलंबित कर दिया है। जबकि दोषी आशा कार्यकर्ता को पद से पृथ्क करने के आदेश दिये है। 

                कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा ने जिला चिकित्सालय में गैंग बनाकर गर्भवती महिलाओं के सीजर आपरेशन करने के लिए रिश्वत लेने एवं रिश्वत की राशि न मिलने पर संबंधित महिला को गंभीर स्वास्थ्य समस्या बताकर रैफर करने की शिकायत की जांच एसडीएम बड़वानी श्री घनश्याम धनगर के नेतृत्व में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. अनिता सिंगारे तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के सहायक संचालक श्री अजय गुप्ता के माध्यम से करवाया था। जांच उपरांत कलेक्टर ने एसडीएम की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर दोषी डाॅक्टर रितु खन्ना के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। वही दोषी स्टाफ नर्स लीना उईके को निलंबित तथा आशा कार्यकर्ता उषा वासनिया को तत्काल पद से पृथ्क करने के आदेश दिये है।

जांच के दौरान प्राप्त तथ्य

                एसडीएम एवं उनकी टीम ने प्रारंभिक जांच के दौरान पाया कि गर्भवती महिलाओं के परिजनों को डरा धमकाकर आपरेशन हेतु राशि की मांग की जाती है। राशि नही देने पर इन्दौर रैफर कर दिया जाता है। इस संबंध में जांच के दौरान कुछ गर्भवती महिलाओं के परिजनों ने संबंधित लोगों की आडियों क्लिप भी सुनाई जिसमें संबंधित लोगों द्वारा राशि मांगने जैसी बाते कही जा रही है। राशि न मिलने पर इन्दौर रैफर करने के पश्चात् संबंधित आशा कार्यकर्ता द्वारा गर्भवती महिलाओं के परिजनों को चिन्हांकित प्रायवेट डाॅक्टरों के पास ले जाकर, प्रायवेट अस्पताल सीजर कराने जैसी भी बाते प्रथम दृष्टया सिद्ध हुई है। जिसमें रैफर महिलाओं का आपरेशन प्रायवेट चिकित्सकों द्वारा राशि लेकर प्रायवेट अस्पतालों में किया गया। जांच के दौरान यह तथ्य भी उभरकर सामने आया कि आशा कार्यकर्ता को प्रायवेट में आपरेशन करवाने पर 2 हजार रुपये मिलते है। वही यदि अटेण्डर शासकीय अस्पताल में वांछित राशि जो 4 हजार से 8 हजार रुपये तक होती है, दे दी जाती है तो उसका आपरेशन शासकीय अस्पताल में ही चिकित्सकों द्वारा कर दिया जाता है। इसकी राशि गैंग के सदस्य आपस में बांट लेते है। इसी प्रकार कई बार इन्दौर रैफर गर्भवती महिलाओं का सीजर आपेरशन भी शासकीय चिकित्सकों द्वारा प्रायवेट अस्पतालों में जाकर करने का भी तथ्य स्पष्ट हुआ है।

                जांच के दौरान कुछ गर्भवती महिलाओं के परिजनों ने प्रायवेट अस्पतालों के बिल भी दिखाये। जिन्हे रैफर करके प्रायवेट अस्पताल में सीजर करवाने हेतु मजबूर किया गया था। और इसके लिए उन्हे भारी राशि अदा करना पड़ी थी।

                जांच के दौरान टीम ने प्रथम दृष्टया पाया कि जिला महिला अस्पताल में प्रसूति के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं के साथ तथा उनके साथ आये परिजनों को ड्यूटी पर उपस्थित आशा कार्यकर्ता, स्टाफ नर्स द्वारा बड़े ही सुनियोजित एवं संगठित तरीके से अवैध रूप से राशि प्राप्त करने के लालच में प्रायवेट लैब में जांच हेतु परिजनों को विवश करते है। विभिन्न प्रकार की जांच करवाकर, भय का वातावरण बनाकर निजी नर्सिंग होम में डिलेवरी करवाने या शासकीय चिकित्सालय में ही सीजर करवाने के लिए अवैध रूप से राशि ली जाती है।

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