भोपाल। सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों की संख्या चार महीने में भी घट नहीं पाईं। इसकी वजह जिला और निचले स्तर पर कमजोर गवर्नेंस है। इससे राज्य सरकार नाराज है और सभी कलेक्टरों को फिर चेतावनी दी है कि वह जनशिकायतों के निराकरण में लापरवाही न बरतें।

गौरतलब है कि अगस्त में मुख्यमंत्री कमलनाथ जनअधिकार कार्यक्रम में सारे कलेक्टरों से इन शिकायतों के संबंध में नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। इसके बाद से सीएम सचिवालय हर महीने जन शिकायतों की समीक्षा कर रहा है।

अगस्त में प्रदेश के सारे कलेक्टरों को पत्र भेजकर सीएम सचिवालय ने सात विभागों की जनता से जुड़ी शिकायतों की संख्या भेजी थी और कहा था कि इस महीने ही इन शिकायतों का निराकरण कर लें। इनमें अभी तक कोई कमी नही आई है। राज्य सरकार ने एक बार फिर सभी कलेक्टरों को पत्र भेजकर कहा है कि वे जनशिकायतों का निपटारा करने में तेजी लाएं।

सर्वाधिक शिकायतों वाले विभाग

राजस्व विभाग: राज्य सरकार की समीक्षा में पता चला कि भूअर्जन, विवादित-अविवादित नामांतरण और बंटवारे के प्रकरण लंबे समय से लंबित हैं। जिला स्तर पर इसकी पर्याप्त समीक्षा न होने के कारण संख्या में कमी नहीं आ रही है।

लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण: जननी सुरक्षा योजना का लाभ न मिलने की शिकायतों का भी निपटारा नहीं किया जा रहा है।

जनजातीय कल्याण विभाग: शिष्यवृत्ति, छात्रवृत्ति नहीं मिलने या विलंब से मिलने की शिकायतें हैं। धार सहित कुछ आदिवासी जिलों में दो साल से छात्रवृत्ति नहीं मिलने का मामला सरकार के संज्ञान में आया है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग: प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्त नहीं दिए जाने के संबंध में लगभग सभी जिलों से शिकायतें लंबित हैं।

सामाजिक न्याय विभाग: मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह योजना की शिकायतों का निपटारा नहीं किया जा रहा है।

ऊर्जा विभाग: कई जगह ट्रांसफार्मर खराब होने और तार टूटने सहित छोटी-मोटी शिकायतें समय पर नहीं निपटाई जा रही हैं।

गृह विभाग: एफआईआर न लिखने, समय पर नहीं लिखने या सही धाराएं नहीं लगाए जाने की चार हजार से ज्यादा शिकायतें हैं।

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