इंदौर। सरकार के 30 जनवरी तक स्कूल बंद करने के निणर्य का एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने विरोध किया है। एसोसिएशन के गोपाल सोनी और अभिषेक शिंदे ने सोमवार को एक पत्रकार वार्ता में कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा लिए गए फैसले जिसमें सभी विद्यालयों को दिनांक 15 जनवरी से 31 जनवरी तक अचानक बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया। हम इसका विरोध करते हैं।

उन्होंने इसे अनैतिक, अलोकतांत्रिक और एकतरफा आदेश करार दिया। मुख्यमंत्री के द्वारा लिए गए इस फैसले से संचालक, शिक्षक, अभिभावक एवं छात्रों का बहुत बड़ा नुकसान होगा जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान लगभग 18 महीने से स्कूल बंद थे, छात्र लिखना-पढ़ना भूल गए थे, पिछले चार-पांच महीनों के दौरान स्कूल जैसे -तैसे छात्रों को ट्रैक पर लाने में कामयाब रहे थे, अब फिर से स्कूल बंद हो गए है। एमपी बोर्ड के स्कूल निम्न मध्यम वर्ग के परिवार के छात्रों को पढ़ाते हैं, इस वर्ग का प्रत्येक बच्चा ऑनलाइन क्लास के लिए एंड्रॉइड फोन और डाटा नहीं खरीद सकता है। इसने अमीर और गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि के छात्रों के बीच विभाजन पैदा कर दिया है।

उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान हालात में कॉलेज, ट्यूटोरियल प्वाइंट, हाट बाजार, मॉल्स और चाट-चौपाटी धड़ल्ले से चल रहे हैं, जहां बच्चे आ-जा रहे है। किंतु सरकार विद्यालय को टारगेट कर बार-बार बंद करती रही है। इसकी हम निंदा करते हैं और यह राष्ट्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। शिक्षा से छात्रों को वंचित कर सरकार विद्यार्थियों के साथ अन्याय कर रही है।

सरकार के इस फैसले से सभी संचालक अभिभावक एवं छात्र असंतुष्ट है। हम शिक्षा मंत्री से एसोसिएशन अनुरोध करते हैं कि सभी विद्यालयों को तत्काल खोलने का आदेश जारी करें। हम पूरी तरीके से कोरोना एस.ओ.पी. का पालन कर विद्यालय चलाएंगे।

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