बड़वानी /  कलेक्टर श्री शिवराजसिंह  वर्मा ने पानसेमल नगर के मुख्य मार्ग के सर्वे नंबर 41/1  रकबा 6.097 हेक्टर भूमि को  शासकीय घोषित किया  है।  गाइडलाइन अनुसार इस  भूमि का मूल्य है 64.44 करोड़ रुपए । भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में चढ़ी 6 लोगों के नाम हटाकर, पुनः शासकीय में दर्ज करने के लिए आदेश दिए है।सन् 1958 के पूर्व यह भूमि चरनोई मद में दर्ज थी। जिसे तत्समय खसरे में काट-छाटकर 6 प्रायवेट व्यक्त्यिों के नाम दर्ज कर दी गई थी ।
पानसेमल एसडीएम सुश्री अंशु जावला से प्राप्त जानकारी अनुसार पानसेमल के भूमि सर्वे नम्बर 41/1 रकबा 6.097 हेक्टर भूमि वर्ष 1907 से चरनोई मद में राजस्व रेकार्ड में दर्ज थी, किन्तु वर्तमान में उक्त भूमि 7 बटांकन होकर राजस्व रेकार्ड में भूमि स्वामी पवन इंडस्ट्रीज तर्फे बाबुलाल पिता गजानंद, राजेश पिता लख्मीचन्द उर्फ लखीचन्द्र अग्रवाल, रामअवतार पिता रामनारायण खण्डेलवाल, केदारचन्द्र पिता जगदीश प्रसाद खण्डेलवाल, राजेन्द्र पिता जगदीश प्रसाद खण्डेलवाल, कैलाश पिता मथुरा प्रसाद अग्रवाल, गोर्वधनदास, रामदास, श्यामदास पिता जगन्नाथ, कावेरीबाई बेवा नराण महाजन, छोटेलाल पिता उत्तम, घुडकू पिता उखा मोतीलाल, माधव पिता रतन पर्वताबाई बेवा रतन कोली, श्यामदास पिता जगन्नाथ महाजन के निजी स्वत्व में दर्ज है। प्रकरण जांच में लेकर परीक्षण किया गया, समर्थन में सन् 1907 की मिसल एवं वर्तमान रेकार्ड एवं शासकीय से निजी हुये सर्वे नम्बरो की सूची प्रस्तुत की गई । प्रकरण दर्ज किया जाकर विपक्षी को सूचना पत्र जारी किया गया। विपक्षी गणो द्वारा तहसील में उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत किया गया, बाबुलाल पिता गजानन्द की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि अस्तित्व में आने के पूर्व से उक्त भूमि स्वामी श्यामदास पिता जगन्नाथ के नाम अंकित रही है। तत्पश्चात विभिन्न क्रेतागण के माध्यम से अनावेदक गण को 11 जुलाई 1990 के पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से हस्तांतरण की गई जिसका उपयोग वे लोग कर रहे है। वर्ष 1952 से जगन्नाथ पिता नारायण, वर्ष 1961 से श्रीमती द्रोपताबाई पति श्यामदास, वर्ष 1984 में भूमि कान्ता इन्डस्ट्रीज द्वारा चन्द्रकान्त पति चम्पालाल, वर्ष 1990 से वर्तमान समय तक पवन इन्डस्ट्रीज द्वारा बाबुलाल गजानंद आदि के नाम से पंजीकृत विक्रय पत्र निष्पादित किया गया । जिस पर क्रेता बाबुलाल आदि के नाम अंकित होकर अधीपत्य में है।
इस पर से अनावेदको द्वारा बताया गया कि 28 अप्रैल 2016 को अनुविभागीय अधिकारी पानसेमल द्वारा असत्य प्रभावहीन आदेश पारित कर उक्त भूमि को शासकीय घोषित की गई । इस पर से उक्त विवादित भूमि का प्रकरण सक्षम राजस्व न्यायालय में स्थानांतर किया गया । जिस पर कलेक्टर ने सुनवाई करते हुये आदेश पारित किया कि मिसल बंदोबस्त सन् 1907, खसरा पंचसाला वर्ष 1952, 1963, 1970, 1974, अभिलेखो परीक्षण में पाया गया कि नगर पानसेमल स्थित भूमि सर्वे नम्बर 41/1 मिसल बंदोबस्त अनुसार शासकीय होकर चरनोई मद में दर्ज रही है। तत्पश्चात बाद के वर्षो में भी उक्त भूमि चरनोई होकर शासकीय रही है। परन्तु तत्समय खसरे के कालम नम्बर 2 में काट-छाट की गई तथा खसरा के कालम नम्बर 10 में नम्बर हाजा जीनिंग फेक्ट्री होकर वी.ई. कब्जा का इन्द्राज किया गया ।
अतः अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पानसेमल एवं तहसीलदार पानसेमल द्वारा प्रस्तुत अभिलेखो, तथ्यो से यह स्पष्ट होता है कि उक्त भूमि शासकीय है, और अनावेदकगणो का इस पर कोई भी स्वत्व सिद्ध नहीं होता । अतः तहसीलदार पानसेमल को आदेशित किया जाता है कि उक्त प्रश्नाधिन सर्वे नम्बरो को राजस्व अभिलेखो में शासकीय दर्ज करें ।

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