–भोपाल / राजधानी के बैरागढ़ में स्थित सेना के थ्री इएमई सेंटर में एक एचआर कंपनी से रिश्वत लेने के मामले में एक और अधिकारी की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है। कंपनी के अधिकारी ने पूछताछ में सीबीआइ को बताया है कि वह पहले गैरीशन इंजीनियर अजय अग्रवाल के पास गए थे। उन्होंने ही सहायक इंजीनियर (गैरीशन) जी. जान कैनेडी के पास भेजा था। सीबीआइ अब अग्रवाल से भी पूछताछ कर उनके विरुद्ध कार्रवाई कर सकती है।
बता दें कि बुधवार शाम को सीबीआइ ने सेना के इंजीनियर कैनेडी को उनके कार्यालय में एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। कैनेडी से पूछताछ के आधार पर उनके सहयोगी सहायक इंजीनियर राजेंद्र सिंह यादव और क्लर्क अरुण को भी गिरफ्तार किया था। तीनों को गुरुवार को जिला न्यायालय में पेश किया गया है। यहां से उन्हें सीबीआइ ने सात नवंबर तक पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है। सीबीआइ ने कैनेडी के कार्यालय में उनकी अलमारी की तलाशी भी ली है। इसमें पांच लाख 47 हजार रुपये नकद मिले हैं। यह राशि भी संदेह के घेरे में है, क्योंकि कैनेडी यह नहीं बता पा रहे हैं कि यह राशि उनके पास कहां से आई।
रिकवरी राशि कम करने के लिए मांगी थी रिश्वत
एचआर कंपनी के अधिकारियों ने सीबीआइ को बताया है कि वह तय शर्तों के अनुसार नियमित तौर पर कर्मचारियों की आपूर्ति कर रहे थे। इसके बाद भी अधिकारियों ने करीब सात लाख रुपये की रिकवरी निकाल दी थी। इसे कम करने के एवज में एक लाख 48 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसमें एक लाख रुपये लेते हुए सीबीआइ ने पकड़ा था।
