मध्य प्रदेश के धार जिले के कुक्षी तहसील से शुरू होकर 8 गांव में सभाओं के द्वारा संदेश देते हुए ‘नफरत छोड़ो| संविधान बचाओ’|| यात्रा आज तीसरे दिन आगे बढ़ रही है| नर्मदा घाटी के गांव-गांव में सैकड़ों महिला -पुरुषों के साथ एक विशेष संवाद हुआ है, देश के मुट्ठीभर उद्योगपति और किसान -मजदूरों के बीच बढ़ती बीभत्स गैरबराबरी पर! पिछले 8 सालों में उद्योगपतियों को 44 लाख करोड़ की करमाफी और 30 लाख करोड़ की कर्जमाफी पर सवाल उठाते हुए किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि किसानों की हर उपज को, अनाज, सब्जी, फल, दूध और वनोपज को भी हमें चाहिए सही दाम| संपूर्ण कर्जमाफ़ी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश अनुसार C2 + 50 के आधार पर समर्थन मूल्य के दो विधायक {bills}-कानूनों के मसौदे- अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से 2018 में संसद के समक्ष पेश किए गए हैं; जिन पर विशेष संसद सत्र की मांग पुरजोर रूप से उठाई गयी| फांसी के फंदे पर झूलने के लिए किसान -मजदूर और बेरोजगार युवाओं को मजबूर करने वाली अर्थव्यवस्था संविधान को कुचल रही है, यह कहते हुए संविधान बचाओ| देश बचाओ|| का नारा गूंज उठा| भगवान भाई सेप्टा ने किसानों के अधिकार पर जोर देकर आंदोलन व्यापक करने की जरूरत दर्शायी|
मध्यप्रदेश में हजारों की तादाद में एक जिले से पलायन करने के लिए मजबूर मजदूर और सेंचुरी मिल्स की तरह फर्जी तरीके से संपदा बेची जाने से बेरोजगार श्रमिकों को न्याय की गुहार लगाते हुए ‘रोजगार’ के संबंधी राज्य शासन बेदरकार और अपनी भूमिका निभाने के बदले पूंजीपतियों की साथ दे रही है, यह हकीकत भी श्रमिको की orse से बयां की गई| सेंचुरी के श्रमिकों के प्रतिनिधि गबरीराम प्रजापति और पर्वत सोनेर भी यात्रा में शरीक हुए|
सरदार सरोवर सहित बड़े बांधों को रोकने वाले विस्थापितों के आंदोलन को विकास विरोधी घोषित करने वाले राजनेता, चुनाव में अपनी वोटबैंक बनाने के लिए सच्चाई छुपाते हैं| ओमकारेश्वर और जोबट बांधों की नहरों से सिंचाई कितनी असफल हो रही है, इसकी पोलखोल की गई| सरदार सरोवर से मध्यप्रदेश को कोई लाभ {जो मात्र बिजली का मिलना था} न मिलते, पीढियों पुराने गांव ,अतिउपजाऊ जमीन, मंदिर, मस्जिद, और सतपुड़ा- विंध्य के घने जंगलों को डूबाया गया तो अपना हक लेने के लिए 37 साल चला संघर्ष और हजारों ने पाया पुनर्वास, जिसकी हकीकत कई वक्ताओं ने दोहरायी| आज भी जिनका पुनर्वास बाकी है, उनके लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प व्यक्त हुआ| वाहिद भाई मंसूरी, कैलाश यादव, रामदास पाटीदार, रामसिंग भिलाला, देवेंद्र पाटीदार, विजय मरोला, जगदीश पटेल, लोभीराम धनगर, कमला यादव प्रमुख वक्ता रहे|
सनोवर बी मंसूरी ने महिला किसानों को क्रेडिट कार्ड सहित विशेष लाभ की ओर मजदूर महिलाओं को राशन, पेंशन भ्रष्टाचार विरहित व्यवस्था के द्वारा मिले, इसके लिए भी आंदोलन जरूरी है, यह कहा, जिस पर सैकड़ों महिलाओं ने हर सभा में सहमति दर्शायी|
नर्मदा में आज बड़ा प्रदूषण, जंगल आदिवासियों से छीनने के लिए 1980 के वन सुरक्षा कानून के नियम बदलने की साजिश का धिक्कार किया गया| पेसा कानून के नियम मध्यप्रदेश शासन ने 1996 से अक्षम्य देरी के बाद 2022 में घोषित किये हैं तो अब हर ग्रामसभा ने अपने प्रस्तावों के द्वारा अपनी ‘विकास’ की दिशा नियोजन और संवैधानिक अधिकार की मांग नहीं, शासन -प्रशासन को निर्देश देकर उन पर अमल करने का अधिकार साबित करना होगा, यह बात मेधा दीदी पाटकर ने आग्रह के साथ रखी| संविधान के आधार पर 14 सालतक के बच्चे की मुफ्त शिक्षा, हर नागरिक को सकस आहार, शराबबंदी, और समतावादी अर्थव्यवस्था के लिए संघर्ष जरूरी बताया|

हर गांव में जातिभेद छोड़ो, दिलों को जोड़ों के आवाहन के साथ मध्यप्रदेश और देश भर बढ़ती धर्मांधता और जाति, धर्म, लिंग भेद के साथ बढ़ती हिंसा को नकारते हुए राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश में हुए दंगों और हत्या को अमानवीयता के नमूने बताने पर नफरत मिटाकर, एकजुटता और इंसानियत से गंगा -जमुना तहजीब बचाने के विचार को समर्थन जाहिर हुआ| यात्रा का 19 तारीख सुबह धरमपुरी में समारोप करते हुए, नर्मदा घाटी के किसान, मजदूर, मछुआरे, पशुपालक 26 जनवरी से शुरू हो रही पदयात्रा में प्रतिनिधिक रूप से और सैकड़ों की संख्या में 30 जनवरी के शहादत दिवस पर जंतर मंतर, नई दिल्ली में शामिल होने का आवाहन किया गया| सभाओं का संचालन वाहिद भाई मंसूरी ने किया|
