भोपाल /  मध्य प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व की कमी से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी अब नया और युवा नेतृत्व तैयार करेगी। राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद इस पर निर्णय हो सकता है। दरअसल, भाजपा में केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को छोड़ दिया जाए तो कोई ऐसा आदिवासी नेता नहीं है, जिसकी प्रदेश के सभी अंचलों पर पकड़ हो।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेता दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद से पार्टी बड़े चेहरे की कमी से जूझ रही है। महिला नेत्री रंजना बघेल भी वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद से हाशिए पर हैं। पहले रंजना बघेल मालवांचल में आदिवासी वर्ग का बड़ा चेहरा थीं। जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) के खिलाफ लड़ाई भी रंजना ने अकेले लड़ी थी। यही वजह है कि पार्टी अब मप्र से राज्यसभा सदस्य डॉ.सुमेर सिंह सोलंकी पर दांव लगाने की तैयारी में है। सोलंकी को ताकतवर बनाने के लिए उन्हें प्रदेश संगठन में या मोदी कैबिनेट में भी जगह दी जा सकती है।

लंबे समय से आदिवासी चेहरे के नाम पर शिवराज कैबिनेट में विजय शाह मंत्री जरूर हैं, लेकिन उनकी निमाड़ के बाहर कोई पकड़ नहीं है। राजघराने से होने के कारण आदिवासियों के बीच उनका प्रभाव नहीं है। अन्य मंत्री का प्रभाव विधानसभा क्षेत्र के बाहर नहीं है। भाजपा ने ओमप्रकाश धुर्वे को राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाया, लेकिन वे भी प्रदेश में कोई पहचान नहीं बना पाए। यही वजह है कि भाजपा को कांग्रेस से आयातित नेता बिसाहू लाल सिंह और सुलोचना रावत के सहारे काम चलाना पड़ रहा है।

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