भोपाल। मध्य प्रदेश में पांच फरवरी से शुरू हुई विकास यात्रा भले ही एक सरकारी कार्यक्रम हो लेकिन भाजपा इस बहाने अपने विधायकों की लोकप्रियता का आकलन कर रही है। जिन विधानसभा क्षेत्रों में इसका विरोध हो रहा है, वहां के विधायकों के बारे में मतदाताओं की राय और उनके कार्यों की जमीनी हकीकत का पार्टी पता लगाएगी।

पार्टी यह भी देखेगी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि यह पार्टी की गुटबाजी का नतीजा है या फिर विरोध कांग्रेस प्रायोजित है। पार्टी को यदि यह जनविरोध लगा तो आगे प्रत्याशी बदलने के बारे में भी विचार किया जा सकता है।

दरअसल, पार्टी मिशन-2023 के लिए किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है और न ही वह 2018 के चुनाव में टिकट देने से जुड़ी गलतियों को दोहराना चाहती है। पार्टी की तैयारी यह है कि सर्वे रिपोर्ट, विकास यात्रा की सफलता और कार्यकर्ताओं की सहमति से ही विधानसभा चुनाव का टिकट दिया जाए। इसी कारण संभावना है कि आने वाले चुनाव में भाजपा आधे से ज्यादा नए चेहरे उतार सकती है।

टिकट वितरण की गाइडलाइन तय करने की भी तैयारी

भाजपा आठ महीने बाद मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण की गाइडलाइन तय करने की तैयारी कर रही हैं। पार्टी उम्रदराज और कई बार चुनाव जीत चुके नेताओं से पल्ला झाड़ने के बारे में भी विचार कर रही है। इसी तरह एक-दो या अधिक चुनाव में हार रहे चेहरों को प्रत्याशी बनाने से भी पार्टी परहेज कर सकती है। पार्टी लगभग 100 सीटों पर युवा और नए प्रत्याशियों की तलाश कर रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि संगठन में पीढ़ी परिवर्तन के बाद विधानसभा चुनाव में भी नई पीढ़ी को मौका मिले।

पार्टी मान रही स्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं

पार्टी के अपने अध्ययन में आगामी चुनाव को लेकर स्थितियां चुनौतीपूर्ण मानी गई हैं। टिकट की उक्त गाइडलाइन के अलावा जिन सीटों पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, वहां पहले प्रत्याशी घोषित किए जा सकते हैं। दरअसल, भाजपा सत्ता विरोधी रुझान से अवगत है। संगठन की रणनीति है कि विकास यात्रा के जरिये जिन विधायकों से जनता नाराज है, वहां के लोग मुखर होंगे। टिकट काटने का यह बड़ा आधार बन सकेगा। अगले चरण में इन सीटों पर मुख्यमंत्री और संगठन के बड़े नेता जाकर जन आक्रोश ठंडा कर सकेंगे।

गुजरात फार्मूले का दिखेगा असर

भाजपा के मिशन 2023 में गुजरात फार्मूले का साफ असर दिखाई पड़ेगा। दरअसल, 2018 में भी भाजपा ने पांच मंत्री सहित 52 विधायकों के टिकट काटे थे। इनमें कई कद्दावर भी शामिल थे। बाबूलाल गौर, सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया, कन्हैया लाल अग्रवाल, हर्ष सिंह, सूर्यप्रकाश मीणा जैसे कई दिग्गज शामिल थे।

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