जैसा बड़वानी में हुआ वैसा ही भोपाल में आजमाने की कोशिश में थे…
लेकिन जिम्मेदार अधिकारी नहीं माने और हुई नियमानुसार कार्यवाही
भोपाल। बड़वानी मै मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देशों पर किस तरह पलिता लगाया गया, यह सर्वविदित है । अधिकारी प्रतिदिन मीडिया को जो बयान देते रहे वो क्या असत्य थे…बड़वानी मैं हुऐ इस घटनाक्रम की पूरे प्रदेश में चर्चा है? खैर आने वाला वक्त बताऐगा कि आखिर खेल हुआ क्या?लोकायुक्त के आदेश पर ऐशबाग स्थित लाला लाजपत कॉलोनी में अवैध निर्माण तोड़ने गए निगम अधिकारियों को अपना मोबाइल बंद करना पड़ गया। दरअसल, कार्रवाई के दौरान कांग्रेस के नेताओं समेत एक मंत्री ने निगम अधिकारियों को कार्रवाई नहीं करने की हिदायत दे दी। उधर, अमले ने निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से मामले की जानकारी दी। लिहाजा रुक-रुक कर कार्रवाई जारी रही। वर्ष 2016 में लाला लाजपत कॉलोनी में रहने वाले जुबेर के अवैध निर्माण की शिकायत लोकायुक्त में की थी। लोकायुक्त ने मामले पर निगमायुक्त बी विजय दत्ता को भी तलब किया था। इसके बाद निर्माण को तोड़ने के आदेश जारी किए गए। शिकायत में बताया गया था कि जुबेर को बिल्डिंग परमिशन से तीन मंजिल बिल्डिंग निर्माण की अनुमति दी गई थी। इसके बाद जुबेर ने 2400 वर्ग फीट के चौथी मंजिल का अवैध निर्माण कराया जा रहा है।
एमओएस में बनी चार दुकानें ही तोड़ पाए
जैसे ही अमला कार्रवाई के लिए पहुंचा तो नगर निगम के बिल्डिंग परमिशन के अधिकारियों पर फोन बजने लगे। इसके बाद अवैध निर्माण के दायरे में आने वाली दुकानों पर कार्रवाई शुरु की गई। दरअसल, जुबेर ने चौथी मंजिल के साथ एमओएस एरिया में दस-दस फीट अतिरिक्त निर्माण कराया था। ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें भी बना ली थी। लगातार दबाव के बाद भी कार्रवाई जारी रही। बुधवार को भी अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी।
विवाद को देखते हुए पुलिस बल भी था मौजूद
नगर निगम ने कार्रवाई से पहले विवाद को स्थिति को देखते हुए पुलिस प्रशासन से पुलिस बल की मांग की थी। कार्रवाई होता देख जैसे ही लोगों जमा होना शुरु हुए पुलिस बल ने उन्हें हटाया। कार्रवाई की जानकारी सिटी प्लानर एसएस राठौर के साथ निगमायुक्त को भी दी जा रही थी।
पहले भी कई बार नेताओं का रहा अडंगा
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हो या अवैध निर्माण को तोड़ने की। पहले भी कई बार राजनैता ऐसी कार्रवाई का विरोध करते रहे हैं। करीब दो माह पहले ही ईदगाह हिल्स में कार्रवाई के दौरान स्थानीय नेताओं के विरोध का सामना अधिकारियों को करना पड़ा था। इस दौरान सार्वजनिक तौर पर धमकियां भी दी गई थी।
