भोपाल/ मध्य प्रदेश में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भी आदिवासी सीटों से अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद है। मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) और आदिवासी एकता परिषद का समर्थन जुटाने के प्रयास में हैं। दोनों ही संगठनों का आदिवासी क्षेत्र, खासकर मालवांचल में अच्छा प्रभाव है।
विधानसभा चुनाव में जयस ने कांग्रेस का समर्थन किया था, जिसके कारण उसे आदिवासी सीटों में सफलता मिली थी। यह काम वह लोकसभा चुनाव में भी करना चाहती है। इसके लिए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और रतलाम से पार्टी प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया प्रयासरत हैं।
जयस और आदिवासी एकता परिषद का प्रभाव धार, खरगोन, खंडवा और बैतूल सीट पर अधिक है। दोनों संगठन लंबे समय से काम कर रहे हैं। आदिवासियों के हितों की लड़ाई के लिए सामाजिक और वैचारिक संगठन के रूप में इनका गठन किया गया था। जयस से जुड़े कांग्रेस विधायक हिरालाल अलावा का कहना है कि हमारा संगठन सामाजिक है, लोकसभा चुनाव में हम कांग्रेस के साथ हैं।
कारण, कांग्रेस के घोषणा पत्र में आदिवासियों के हित में कई वादे किए गए हैं। सबसे प्रमुख तो यह कि राहुल गांधी ने हाल ही में मंडला में संविधान की पांचवी और छठवीं अनुसूची लागू करने की बात कही है। पांचवी अनुसूची में मध्य प्रदेश भी शामिल है। इसके लागू होने पर पर प्रशासन के कई अधिकार कलेक्टर की जगह आदिवासियों की समितियों को मिल जाएंगे।
रोजगार देने की बात भी उनके घोषणा पत्र में है। हालांकि, खुद को जयस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताने वाले लोकेश मुजाल्दा का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों उनके हितों पर ध्यान नहीं दे रही हैं, इस कारण वह ऐसे उम्मीदवार का समर्थन करेंगे जो आदिवासी हितों की बात करे। कांग्रेस जयस के दोनों गुटों को अपने पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
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कांग्रेस ने आदिवासी मतदाताओं को साधने के लिए बड़ी चाल चली। पूर्व सेल्स टैक्स अधिकारी को यहां से मैदान में उतारा है। वह आदिवासी एकता परिषद के साथ मिलकर काम कर रहे थे। परिषद 1992 से यहां सामाजिक कार्य कर रही है, जिससे उसकी आदिवासियों के बीच अच्छी पैठ है। संगठन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल रावत ने कहा कि यह सामाजिक और वैचारिक संगठन पर है मुद्दों को लेकर अभी कांग्रेस के साथ है। संगठन मालवा-निमाड़ की सभी सीटों पर लंबे समय से काम कर रहा है।
