बड़वानी(रेवा की पुकार) 25 मई 1998 के दिन जिला बनने का गौरव प्राप्त हुआ था बड़वानी को। इससे पहले खरगोन जिले के अन्तर्गत आता था। उस समय बड़वानी में अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व) कार्यालय स्थापित था बड़वानी जिला मुख्यालय पर,स्वास्थ्य के क्षैत्र में खरगोन जिला होने के बावजूद बड़वानी मुख्यालय पर पहले से ही सीएमएचओ  कार्यालय स्थापित था। 1998 के पूर्व बड़वानी नगर की सुन्दरता देखते ही बनती थी। साफ-सफाई और हरियाली को देखते हुए ही नगर को ‘‘क्लीन-बड़वानी….ग्रीन बड़वानी कंे नाम से जाना जाता था। जिला बनने के बाद इस क्षैत्र के रहवासियों  को एक आशा थी कि हमारा आदिवासी बाहुल्य जिला बड़वानी एक नयें आयाम को छूऐगा। जिला बनने से सबसे पहले तो जनमानस को यह सुविधा उपलब्ध हुई कि जिन कार्यो के लिए खरगोन जाना पड़ता था वो लगभग सब कुछ बड़वानी में ही उपलब्ध हो गये। जिला कार्यालयों की स्थापना के साथ-साथ जनसंख्या बढ़ने लगी जिसके चलते नई-नई आवासीय कालोनियों की भी भरमार सी हो गई। जिलेवासियों की मनइच्छा अनुसार इन 27 वर्षो में भी उतना विकास संभव नही हो पाया जितनें की कल्पनाऐं संजोई गई थी, आज भी जिले के ग्रामीण अंचलो में बिजली,पानी तथा परिवहन की सुविधाओं का आभाव है लोग गर्मियों में पानी के लिए भटकते देखे जा सकते है, तो कई-कई किलो मीटर तक लोग मरीजों को छोली में डालकर इलाज के लिए गंतव्य तक ले जाने को मजबूर  है। बड़े उधोग-कारखानों के आभाव में जिले के लोग रोजी-रोटी कमाने तथा परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पलायन कर रहे है। जिले को लगातार सशक्त जनप्रतिनिधित्व मिलने के बावजूद युवा मेडिकल, इंजिनियरिंग,एग्रीकल्चर आदि की पढ़ाई के लिए बड़े शहरों का रुख करते है जिससे परिवार को अतिरिक्त आर्थिक भार सहना पड़ता है। वर्तमान समयानुसार जिले के सक्षम विकास के लिए और अधिक संभावनाओं को टटोलने की नहीं बल्कि उनको साकार रुप देने की भी अति आवश्यकता है। सभी जिलेवासियों को बड़वानी जिले की स्थापना के 27 वर्ष पूर्ण होन पर इस गौरवशाली दिवस की हार्दिक बधाई…शुभकामनाऐं।

 

 

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