बड़वानी / प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग एवं राज्य स्तरीय नेक प्रकोष्ठ के दिशा निर्देशानुसार आयोजित मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य एवं IQAC समन्वयक डॉ. आशा साखी गुप्ता के आदेशानुसार एवं संयोजक डॉ. लक्ष्मी वास्केल के निर्देशन में आज दिनांक 12 नवम्बर 2025 को एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं एनएसएस के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रणजीत सिंह मेवाड़े ने “प्राचीन भारतीय संस्कृति का पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास पर प्रभाव” विषय पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान में डॉ. मेवाड़े ने बताया कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में पर्यावरण को केवल प्राकृतिक संपदा नहीं, बल्कि जीवन का आधार माना गया है। हमारे वेदों, उपनिषदों और पुराणों में प्रकृति की पूजा और संरक्षण के विचार निहित हैं, जो आज के समय प्रासंगिक है जो सतत विकास (Sustainable Development) के मूल सिद्धांतों से मेल खाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम प्राचीन भारतीय जीवन मूल्यों को अपनाएँ, तो पर्यावरणीय संतुलन और आर्थिक विकास दोनों को साथ लेकर चलना संभव है। उन्होंने अपने व्याख्यान में सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वैदिक काल मध्यकाल एवं आधुनिक काल में पर्यावरणीय संतुलन के ऊपर अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रंजना चौहान द्वारा किया गया और अंत में विद्यार्थियों ने डॉ. मेवाड़े से कई प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाएँ भी दूर कीं। अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष तथा समन्वयक ने विषय से संबंधित व्याख्यान की समीक्षा बताई । डॉ. सुनीता सोलंकी द्वारा आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे व्याख्यान विद्यार्थियों को न केवल ज्ञान देते हैं बल्कि जीवन मूल्यों को समझने की प्रेरणा भी प्रदान करते हैं।
