बड़वानी / प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा पर गुजरात में बनी सरदार सरोवर परियोजना के बांध से जिले के बड़ी संख्या में तटीय गांव जलमग्न हो चुके हैं। प्रति वर्ष वर्षाकाल में 7-8 माह यह हालात रहते हैं। वहीं डूब क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शासन द्वारा अब तक नवीन घाटों के निर्माण की सुध नहीं ली हैं। शासन अब तक जो काम नहीं कर पाया, वो एक नर्मदा भक्त ने जनसहयोग से कर दिखाया।

यह उदाहरण शहर के समीप नर्मदा तट राजघाट में देखने को मिल रहा हैं। बैकवाटर के 138.60 मीटर के उच्च लेवल पर फिलहाल राजघाट-कुकरा गांव जलमग्न होकर पुराना पुल, घाट, धर्मशाला, मंदिर जलमग्न होकर पुराने फिल्टर प्लांट के आगे तक बैकवाटर का फैलाव हैं। ऐसे में रोहिणी तीर्थ के पास ही श्रद्धालुओं को पूजन-दर्शन की सुविधा के मद्देनजर मां नर्मदा के भक्त अजयसिंह ठाकुर ने टापू क्षेत्र के जागीरदारपुरा में मालिक जी आश्रम क्षेत्र में जुलाई माह में जनसहयोग से ताबड़तोड़ नवीन घाट का काम शुरू करवाया। वर्तमान में जागीरदारपुरा घाट पर हनुमान मंदिर और मां नर्मदा की प्रतिमा की स्थापना की गई है। साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूजन-सामग्री और केंटिन सुविधा की शुरूआत भी शुरूआत की गई है।

30 फीट चौड़ा और 120 लंबा बनाया घाट

नर्मदा भक्त अजयसिंह ठाकुर ने बताया कि जागीरदारपुरा में 30 फीट चौड़ा और 120 फीट लंंबा बनाया गया है। इसमें कुल 26 पेड़ी बनाई गई और स्नान के लिए दो जगह स्टेट भी बनाई गई है। दरअसल इस बार जून माह में ही नर्मदा का बैकवाटर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया था। वहीं जुलाई माह में बैकवाटर लबालब भर चुका था। अगस्त माह आते-आते बांध का लेवल 130 मीटर तक पहुंच गया था। इसके बावजूद नर्मदा भक्त अजयसिंह ठाकुर के नेतृत्व में मां नर्मदा जागीरदारपुरा समिति का गठन कर घाट की नींव रखी गई।

बैकवाटर कम होते ही चंद दिन में बना दिया घाट

अजयसिंह ठाकुर के अनुसार 23 जुलाई को विधिवत पूजन-अर्चन कर घाट की नींव रखी गई थी। इसकेअगले सप्ताह एकाएक पानी बढऩे से निर्माण जलमग्न हो गया था। कहते हैं कोई काम सही मन, लगन और आस्था से किया जाए तो भगवान भी सहारा बनते है। ऐसा ही यहां नजारा देखने को मिली। बैकवाटर बढऩे से घाट की नींव का अभिषेक हुआ और तीसरे दिन बांध के गेट खोलने से बैकवाटर में कमी आई। जिसके बाद निर्माण समिति ने ताबड़तोड़ काम जारी रखा। दो पेड़ी बनने के बाद फिर बैकवाटर बढ़ते रहा। इसके बावजूद निर्माण जारी रखा और ऊपरी हिस्से तक निर्माण पहुंचने तक बैकवाटर का लेवल उच्च स्तर पर पहुंच गया।

हनुमान जी व नर्मदा की प्रतिमा की  स्थापित

समिति ने जनसहयोग के माध्यम से मालिक जी आश्रम के पास इच्छापूर्ण बाल हनुमान स्थापना की गई। इसके बाद संतों के लिए ठहरने की व्यवस्था की। किनारे पर टिनशेड स्थापित कर मगर पर सवार मां नर्मदा की प्रतिमा विराजित की गई। सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। तट पर मिट्टी का कटाव रोकने के लिए किनारों पर बड़े-बड़े पत्थर बिछाकर पिचिंग का काम किया। वहीं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए   केंटिन सुविधा शुरू की हैं। जहां पूजन सामग्री सहित चाय और मछली के लिए परमल-चने उपलब्ध कराए जा रहे है।  नर्मदा की स्वच्छता के मद्देनजर साबुन शैंपू का उपयोग नहीं करने का श्रद्धालुओं से आह्वान कर रहे हैं। वहीं पॉलीथीन व अन्य सामग्री के लिए डस्टबीन रखे गए है।

प्रतिदिन पहुंच रहे सैकड़ों लोग

नर्मदा जागीरदारपुरा घाट पर परिक्रमावासियों के रूकने की सुविधा के साथ गौशाला का भी संचालन हो रहा है। नवीन घाट पर प्रतिदिन 150 से ढाई लोग आ रहे है। वहीं अवकाश के दिन यह संख्या 250 तक पहुंचने लगी है। वाहन से आने वाले परिक्रमावासी यहां आकर पूजन-दर्शन कर रहे है। वहीं स्कूल-कॉलेजों के प्रबंधक भी बच्चों को पर्यटन की दृष्टि से भ्रमण के लिए घुमाने लगा रहे है। रविवार को अवकाश के दिन विधायक राजन मंडलोई ने भी यहां पहुंचकर कार्यांे का अवलोकन किया।

 

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