कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पूरा देश इस वक्त लॉकडाउन का सामना कर रहा है। तेजी से सामने आ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच के लिए सरकारी लैब पर्याप्त न होने के बाद सरकार द्वारा कुछ निजी लैब्स को भी जांच करने की छूट दे दी गई है। इन निजी लैब्स में 4500 रुपए तक जांच के लिए ले रहे हैं। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि प्राइवेट लैब कोरोना टेस्ट के पैसे न लें, सरकार यह सुनिश्चित करे। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इसे लेकर आदेश पारित किया जाएगा। बता दें कि जांच के लिए इतनी राशि तक लेने की इजाजत देने वाली अधिसूचना सरकार की ओर से जारी की गई थी।

वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई

याचिकाकर्ता की इस पिटीशन पर शीर्ष कोर्ट द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि लॉकडाउन की वजह से पहले ही लोग आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। लिहाजा जांच महंगी होने की वजह से लोग इसे कराने से बचेंगे इससे बीमारी और फैल सकती है। ऐसे में सरकार को सभी की जांचें मुफ्त कराना चाहिए।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जहां जनता से पैसे न लिए जाने की बात कही। वहीं दूसरी ओर संकेत दिया कि निजी लैब टेस्ट के पैसे सरकार से ले सकती है। ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है।

24 मार्च को निजी लैब को जांच की मिली थी मंजूरी

देश में कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले बढ़ने के बाद केंद्र सरकार द्वारा 24 मार्च को निजी लैब्स को कोरोना टेस्टिंग की मंजूरी दी गई थी। इस जांच के लिए सरकार द्वारा कड़े नियम बनाए गए थे जिसका निजी लैब्स को सख्ती से पालन करना अनिवार्य किया गया था।

देश में 5000 से ज्यादा मामले देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 5000 को पार कर गई है। इसके साथ ही लगभग 150 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। ऐसे में आने वाले दिन सरकार के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं।

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