अपनी कोख में पल्लवित कर संसार दिखाया मुझे,

जब कभी भी,कहीं भी,भूख लगी जो मुझे,

झट से अपने स्तन का दूध पिलाया मुझे।

मां के स्तनों को दांतों से काटने पर भी मुझे,

मां ने मेरे बालों को सहला कर स्तनपान कराया मुझे।

बरसों अपनी गोद में बैठा कर नहलाया- सजाया मुझे,

कभी गालों को जोर – जोर से खींचकर मुझे,

अपने होठों से चूम चूम करलाड लड़ाया मुझे।

मेरी उंगली पकड़कर जमाने के साथ चलना सिखाया मुझे,

दुनिया की ठोंकरोऔरबलाओं से हमेशा ही बचाया मुझे।

जीवन की हर छोटी- बड़ी सीखों कोसहजता से सिखाया मुझे,

अच्छा आचरण और अच्छे कर्म करना सीखाया मुझे।

जब बड़ा होकर गांव से दूर चला गया तो वहां पर मुझे,

एक प्रधानाध्यापक, एक शिक्षक, के रूप में मां मिली मुझे।

पहले तो बड़े हीलाड औरप्यारसे बुलाया मुझे,

कहीं बाहर स्नेह से पास बेठाकर भोजन कराया मुझे,

और प्यार से मेरे कर्तव्यों को समझाया मुझे।

मेरे बारे में सबजाना और अपना बताया मुझे,

कभी-कभी थोड़ी आंखें दिखाकर डराया भी मुझे,

कभी जोर सेतो कभी प्यार सेचिल्लाया मुझे।

गलत थातो गलत, सही था तो सही,ठहराया मुझे,

बहुत ही लाड से अपने सीने से लगाया मुझे।

सभी के सामने मेरा बेटा कह कर बुलाया मुझे,

हमेशा अपने आंचल की छांव में रखा और सुलाया मुझे।

मेरी गलती पर बस केवल चुप रहकर सजा दी मुझे,

परंतु हमेशा पहले मेरी गलती को याद दिलाया मुझे।

थोड़ा सा लड़ झगड़ करअपनी हर बात मनवाना मुझे,

कभी फोन लगाकर तो, कभी मैसेज करके सताना मुझे।

मेरी भूख, मेरी प्यास, मेरीहरजरूरत पर समझा मुझे,

भोजन, पानी, प्यार, पैसा, सब कुछ बिन मांगे दिया मुझे,

बदले में सिर्फ “मेराबेटा“बनकर रहना बस यही कहां मुझे।

आज आपसे दूर होकर बड़ा हो गया हूं तो क्या हुआ मुझे,

ये घर, ये गाड़ी, येपैसा और ये शोहरत आपने ही तो दिया मुझे।

खूब पढ़ – लिखकर, “मां”  अब समझ में आया मुझे,

की “माँ ” संसार की धूरी है और मां के बिना यह दुनिया अधूरी है।

मेरी यह कविता मातृत्व दिवस पर“ बहन, भाभी,शिक्षक, डॉक्टर, दोस्त“ के रूप में सभी माताओंको समर्पित है।

सोनू महाकालपलसूद (‘माध्यमिक शिक्षक) जिला बड़वानी म.प्र.

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