अहमदाबाद। गुजरात सरकार ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल परिसर में स्थित 1200 बेड की अस्पताल को कोरोना वायरस की चिकित्सा के लिए आरक्षित किया है। यहां अस्पताल में कोरोना मरीजों की चिकित्सा मे लापरवाही की खबर आती रहती हैं। मगर, इस अस्पताल की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां कोरोना वायरस की चिकित्सा के लिए 10 मई को भर्ती व्यक्ति का शव 15 मई के दिन शहर के दानीलीमड़ा बस स्टैंड से लावारिश अवस्था में मिला है। सवाल यह है कि सिविल अस्पताल से कोरोना मरीज का शव बस स्टैंड पर कैसे पहुंचा? मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भी मामले की गंभीरता के मद्देनजर 24 घंटे में जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिए हैं।

अहमदाबाद शहर के 67 वर्षीय बुजुर्ग गणपत भाई मकवाना को 10 मई के दिन सांस लेने में तकलीफ होने से सिविल अस्पताल में दाखिल किया गया था। जहां 13 मई को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। कोविड-19 अस्पताल में दो दिन के उपचार के बाद गणपत भाई का शव 15 मई के दिन दानीलीमड़ा बस स्टैंड से लावरिश अवस्था में बरामद हुआ। पुलिस ने परिजनों को बताया कि शव बीआरटीएस बस स्टैंड पर पड़ा हुआ है।

मृतक के पुत्र ने कहा कि पुलिस के अनुसार, उसके पिता को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। परन्तु उनकी तबियत ठीक नहीं थी, तो छुट्टी देने का सवाल ही कहां उठता है। स्थानीय नेता व पूर्व मंत्री गिरीश परमार ने आरोप लगाया है कि मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी। उन्हें सिविल अस्पताल की 1200 बेड की अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। इसके बाद महानगर पालिका ने परिजनों को भी क्वारंटाइन किया था।

इस दौरान मरीज का शव दानीलीमड़ा के बस स्टैंड के पास से बरामद हुआ। पुलिस ने इसकी जानकारी दी। पुलिस ने शव को मनपा संचालित वीएस अस्पताल में भिजवा दिया था। परिजनों को अंतिम क्रिया के लिए प्रोटोकॉल के मुताबिक, पीपीई किट और एम्बुलेंस की सुविधा भी नहीं दी गई। परिजनों ने प्लास्टिक में लपेट कर शव का अंतिम संस्कार किया। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने पूर्व स्वास्थ्य अग्र सचिव जेपी गुप्ता की अध्यक्षता में जांच कर 24 घंटे में रिपोर्ट पेश करने आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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