भोपाल पिछले माह से मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए प्रदेश अब इस दिशा में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए 19 जिला अस्पतालों में वातावरण की हवा से मरीजों की सांसे चलाने वाली ऑक्सीजन बनाने के लिए प्लांट लगाए जाएंगे।

मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन ने कंपनी के चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। कंपनी का चयन हो गया तो अगले साल जनवरी-फरवरी तक ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा। इससे सामान्य हालातों में इन जिला अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत पूरी हो जाएगी।

कारपोरेशन ने टेंडर में यह भी साफ कर दिया है कि तैयार ऑक्सीजन की शुद्धता का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंड के अनुसार 93 फीसद से कम नहीं होना चाहिए। किन्हीं विशेष कारणों से इसमें तीन फीसद तक की कमी स्वीकार की जा सकती है।

स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया कि इस तकनीक में वातावरण से ऑक्सीजन खींचकर उसे शुद्ध किया जाता है। इसके बाद पाइपलाइन के जरिए सप्लाई किया जाता है। प्लांट लगाने वाली कंपनी को रोजाना की जरूरत से तीन दिन के लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन स्टोर करके सिलिंडर में रखना होगा। बता दें कि सितंबर में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ने पर ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ गई थी।

उधर, महाराष्ट्र सरकार ने नागुपर स्थित आइनाक्स कंपनी के प्लांट से मप्र को तरल ऑक्सीजन देने से मना कर दिया था, जिससे चिंता बढ़ गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से बातचीत के बाद महाराष्ट्र सरकार ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए तैयार हुई थी।

ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए नोडल बनाए गए आइएएस ऑफिसर धनराजू एस ने कहा कि अभी ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। हर दिन करीब 130 टन (103285 लीटर ) ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, जबकि ऑक्सीजन का भंडारण इससे करीब 50 हजार लीटर ज्यादा रहता है। मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कारपोरशन के एमडी सतीश कुमार एस ने बताया कि ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।

इन जिला अस्पतालों में लगेंगे मेडिकल ऑक्सीजन बनाने के प्लांट

सतना, विदिशा, नरसिंहपुर, कटनी, रायसेन, बड़वानी, मंडला, छतरपुर, सीधी, बैतूल, दमोह, सागर, भिंड, खरगौन, राजगढ़, बालाघाट, धार, पन्ना और शहडोल।

मेडिकल ऑक्सीजन टैंक लगाने के लिए नहीं आईं कंपनियां

इसके पहले मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन ने प्रदेश के 18 जिलों में तरल मेडिकल ऑक्सीजन के टैंक लगाने और इनमें ऑक्सीजन भरने और मरम्मत कार्य के लिए 18 सितंबर को टेंडर बुलाए थे, लेकिन एक भी कंपनी इसके लिए आगे नहीं आई। माना जा रहा है कि कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या देश भर में बढ़ने की वजह से हर जगह ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है। इस कारण कंपनियों को डर है कि अनुबंध करने के बाद ऑक्सीजन की तय शर्तों के अनुसार आपूर्ति नहीं कर पाएंगी।

तने मरीजों को ऑक्सीजन की पड़ती है जरूरत

अनुमान के अनुसार कोरोना और अन्य बीमारियों के मरीजों को मिलाकर करीब 20 फीसद को कम-ज्यादा मात्रा में आक्सीजन की जरूरत पड़ती है। इसमें 15 फीसद मरीजों को 10 लीटर प्रति मिनट और इनसे ज्यादा गंभीर पांच फीसद को 24 लीटर प्रति मिनट आक्सीजन की जरूरत पड़ती है। कोरोना संक्रमण के चलते ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है।

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