कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के गतिरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। करीब डेढ़ घंटे की सुनवाई में चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कई अहम टिप्पणियां की। सबसे बड़ा संकेत यह मिला है कि सुप्रीम कोर्ट तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दे। वहीं जजों ने भी कोशिश की कि किसान आंदोलन खत्म हो जाए या महिलाएं, बूढे और बच्चे आंदोलन का हिस्सा न बने। सुनवाई कल भी जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

सुनवाई के शुरू में सरकार से पूछा कि यह कानून किससे पूछकर बनाया गया? इस पर अटॉर्नी जनरल ने बताया कि कमेटी बनाने की बाद ही कानून बना है। पहले भी सरकारें इस पर कोशिश करती रही हैं। इसके बाद जजों ने कहा कि जिस तरह से सरकार डील कर रही है, उसे हम निराश हैं। लोग मर रहे हैं और आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं। जजों ने कहा कि अभी कानून के अमल पर जोर न दिया जाए। एक एक्सपर्ट कमेटी बना दी जाए। फिर जजों ने कहा कि सरकार कानून के अमल पर रोक लगाए, अन्यथा कोर्ट लगा देगी। अब तक उनके सामने कोई ऐसा नहीं आया है, जो कहे कि यह कानून फायदेमंद है। सरकार के वकील ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाने के बजाए कुछ हिस्से पर लगाए। इस पर जजों ने कहा कि वे कानून पर नहीं, उसके अमल पर रोक लगाएंगे।

सुनवाई के दौरान हुए बहस की अहम बातें

जजों ने कहा, ‘हम कमेटी बनाते हैं, जिसको जो कहना है, कमेटी का सामने कहे, क्योंकि सरकार कोई समाधान नहीं निकाल पा रही है। अगर कुछ गलत हुआ तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा। सरकार हालात को कंट्रोल करने में नाकाम रही। आंदोलन खत्म करने के लिए बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए। हम यह नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करें, लेकिन उस स्थान पर न करें। (दिल्ली की बॉर्डर जिनके बंद होने से लोगों को परेशानी हो रही है।) कहीं और आंदोलन करें, ताकि लोगों को समस्या न हो। यदि सुप्रीम कोर्ट कानून पर रोक लगाती है तो किसान भी आंदोलन खत्म करें।’

जज ने कहा, ‘आप लोग हमें यह न बताएं कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं’ (यह बात मध्य प्रदेश के एक किसान संगठन की ओर से पैरवी कर रहे विवेक तन्खा को कही। तन्खा राज्यसभा सदस्य भी हैं।)

किसान संगठनों के वकील दुश्यंत दवे ने कहा कि किसान 26 जनवरी की परेड को बाधा नहीं पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रदर्शन जारी करने के लिए रामलीला मैदान जाने दिया जाए।

जब जजों ने पूरे कानून पर रोक लगाने की बात कही तो एटॉर्नी जनरल ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने संसद के बनाए किसी कानून पर रोक नहीं लगाई है, समीक्षा जरूर की है। इस पर जजों ने कहा कि पहले के मामलों के बारे में हमें पता है।

जब एटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून पर रोक न लगाई जाए, इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि हिंसा हुई तो कौन जिम्मेदार है।

आम जनता की परेशानी वाली याचिकाओं को लेकर पक्ष रख रहे हरीश साल्वे ने कहा, किसान अड़ियल रवैया न अपनाएं। इस पर जजों ने कहा, हम ऐसा किसी से नहीं कह सकते।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *