बड़वानी / 60 वर्षीय शांताबाई ने आदरणीय पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर बताया कि मेरे पुत्र का एक्सीडेंट हो गया है ।और वह पैरालिसिस की बीमारी से पीड़ित है। और मेरी बहू शासकीय सेवक है। बहु ना बेटे की परवाह कर रही है ,ना इलाज करवा रही है। ना सेवा कर रही है । मैं वृद्ध मेरे बेटे की सेवा करूं या कमा कर ला कर उसका इलाज कराऊ । आपसे निवेदन है कि मेरे बेटे को न्याय दिलाएं। श्रीमान पुलिस अधीक्षक के द्वारा यह आवेदन परिवार परामर्श में भेजकर आदेशित किया कि उक्त प्रकरण में काउंसलिंग कर उचित कार्रवाई की जावे। इस पर परिवार परामर्श केंद्र ने दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसलिंग की ,जिसमें आ वेदिका ने बेटे की पत्नी से निवेदन किया कि यदि तुम देखभाल नहीं कर सकती, सेवा नहीं कर सकती ,और सरकारी नौकरी में हो तो मेरे बेटे की कुछ मदद करे, आर्थिक रूप से मदद करके उसका इलाज करवा सकती हो। इस पर दोनों पक्षों को परिवार परामर्श केंद्र में समझाइश दी गई अना वेदिका जो कि 2008 से साथ में रह रही है दोनों के 2 पुत्र भी हैं। तथा 2017 में पति के एक्सीडेंट हो जाने से तथा पैरालिसिस से पीड़ित पति को छोड़कर चले गई है। तुम कमाती हो , पत्नी होने से पीड़ित पति की आर्थिक रूप से मदद कर सकती हो।पत्नी आर्थिक मदद् देने के लिए राजी हो गई। कहा कि हर माह ₹5000 इनके इलाज के और सेवा के लिए दूंगी ।और जब तक सांस जिंदा है तब तक सांस पति की सेवा करेगी। सास के ना रहने पर मैं बाद में सेवा करूंगी ।इन दोनों दंपत्ति के 2 पुत्र भी हैं एक वृद्ध माता 60 वर्षीय मां बेटे की सेवा करेगी ।उसका इलाज करवाएगी। दोनों पक्षों ने स्वेच्छा से आपसी राजी मर्जी से समझोता नामा पेश कर बताया कि बहू ₹5000 महीना देगी तो मैं उसमें मेरे बेटे का इलाज भी करवाऊगी और सेवा भी कर दूंगी ।इस तरह से दोनों पक्षों में आपसी समझौता हुआ। जिसमें परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी एएसआई रेखा यादव, काउंसलर श्रीमती अनीता चोयल, हेड साहब आशा डुडवे ,आरक्षक गीता कनेश, जमुना बघेल उपस्थित थे
