देश में कोरोना की दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई है। लेकिन, अब देश में कोरोना के नए मामलों में कमी आ रही है। कई एक्सपर्ट का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर का पीक खत्म हो चुका है। इस बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन को कोरोना इलाज के प्रोटोकॉल से हटाने की बातें सामने आ रही हैं। हाल ही में प्लाजमा थैरिपी को कोविड मरीजों के इलाज के प्रोटोकॉल से हटाया गया है। अब रेमडेसिविर इंजेक्शन को भी इस प्रोटोकॉल से हटाया जा सकता है। गंगाराम अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस राणा का कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन को कोरोना के इलाज प्रोटोकॉल से हटाने पर विचार किया जा रहा है। कोरोना के इलाज में इस इंजेक्शन के असर के बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। प्लाजमा थैरिपी को पहले ही कोरोना इलाज के प्रोटोकॉल से हटाया जा चुका है। अब रेमडेशिविर के साथ भी ऐसा हो सकता है।

क्या प्लाजमा थैरिपी

प्लाजमा थैरिपी में हम किसी ऐसे व्यक्ति का प्लाज्मा कोरोना मरीज के शरीर में चढ़ाते हैं, जो पहले कोरोना से ठीक हो चुका है। यह प्लाजमा कोरोना से लड़ने में मरीज की मदद करता है, पर इससे एंटीबॉडी नहीं बनती है। इस वजह से कोरोना के इलाज में इसका कोई खास प्रभाव नहीं देखा गया है। इसके बाद इसे कोविड ट्रीटमेंट के प्रोटोकॉल से हटा दिया गया है।

रेमडेशिविर की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी

कोरोना की दूसरी लहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की खासी कमी हुई थी और जमकर इस इंजेक्शन की कालाबाजारी भी कई गई थी। अवैध तरीके से यह इंजेक्शन 50 हजार रुपए में भी बिका था। गुजरात में बड़े पैमाने पर फेक रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाए गए थे। मध्यप्रदेश के कई शहरों में ये इंजेक्शन मरीजों में भी लगे थे।

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